
Up Kiran, Digital Desk: भारत का पहाड़ी राज्य सिक्किम अब सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र में मिसाल कायम कर रहा है – वह है 'सतत मत्स्य पालन' (Sustainable Fisheries)। सिक्किम के पर्यावरण और वन मंत्री, कर्मा लोडे गुरंग ने हाल ही में यह घोषणा की है कि सिक्किम ने इस क्षेत्र में खुद को एक अग्रणी स्थान के रूप में स्थापित कर लिया है, जो पूरे देश और दुनिया के लिए एक प्रेरणा है।
क्या है सतत मत्स्य पालन? सतत मत्स्य पालन का मतलब है मछली पकड़ने या मछली पालन के ऐसे तरीके अपनाना, जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र (aquatic ecosystem) को नुकसान न पहुंचे, मछलियों की आबादी बनी रहे और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह संसाधन उपलब्ध रहे। इसमें अवैध मछली पकड़ने पर रोक, प्रदूषित जल में मछली पालन से बचना और पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों का उपयोग करना शामिल है।
सिक्किम ने कैसे किया यह कमाल?
मंत्री गुरंग के अनुसार, सिक्किम ने कुछ खास कदम उठाए हैं, जिससे वह इस क्षेत्र में चमक रहा है:
कड़े नियम और नीतियां: सिक्किम ने मछली पकड़ने और मछली पालन के लिए सख्त पर्यावरण-अनुकूल नियम बनाए हैं।
जैविक खेती और जल संरक्षण: राज्य पहले से ही जैविक खेती के लिए जाना जाता है, जिससे जल स्रोतों में प्रदूषण कम होता है, जो मछली पालन के लिए महत्वपूर्ण है।
समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों को मछली पालन और संरक्षण के प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल किया गया है।
शोध और विकास: राज्य में मत्स्य पालन से संबंधित शोध और आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पर्यावरण-संवेदनशील दृष्टिकोण: सिक्किम की पूरी विकास नीति ही पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है, जिसका लाभ मत्स्य पालन को भी मिला है।
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