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Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल में अगले चुनाव को लेकर बीजेपी ने पहले से ही अपनी रणनीति को मजबूत कर दिया है। पार्टी ने राज्य के दूर-दराज इलाकों तक पहुंच बनाने के लिए गुप्त और प्रभावशाली तरीके अपनाए हैं। इस बार पार्टी तीन स्तरों पर काम कर रही है ताकि हर गांव तक अपनी पकड़ मजबूत कर सके। इस योजना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भी सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है।
आरएसएस के कार्यकर्ता और बीजेपी के बूथ स्तर के सदस्य मिलकर बिना किसी शोर-शराबे के लोगों के बीच बदलाव की बात कर रहे हैं। यह रणनीति काफी हद तक कामयाब भी साबित हुई है, क्योंकि हाल के वर्षों में पार्टी ने पश्चिम बंगाल में अपनी पकड़ तेजी से मजबूत की है।
तीन दशकों तक वाम दलों और कांग्रेस के राज के बाद बीजेपी ने उन्हें मुख्यधारा की राजनीति से बाहर कर दिया है। अब मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रह गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत की संख्या तीन से बढ़कर 77 हो गई थी। वहीं, कांग्रेस और वामपंथी दलों का खाता तक नहीं खुल पाया। उस चुनाव में ममता बनर्जी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी, लेकिन बीजेपी ने अपनी जड़ें मजबूत करने का काम भी कर लिया।
पार्टी की जमीनी मजबूती के लिए सुनील बंसल जैसे अनुभवी रणनीतिकारों को जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को तैयार किया ताकि वे आम जनता तक सीधे पहुंच सकें। लोगों में वर्तमान सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है और बदलाव की चाह भी। इस मौके को बीजेपी भुनाने की कोशिश कर रही है ताकि वे भरोसा कायम कर सकें कि वे बदलाव ला सकते हैं। पार्टी के हर स्तर पर प्रयास जारी हैं।