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Up Kiran, Digital Desk: इस साल पितृ पक्ष की सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर, रविवार को है। इसी दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। यह एक बड़ा खगोलीय संयोग है, जब पितरों को विदा करने वाले दिन ही सूर्य ग्रहण भी होगा। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में यह सवाल है कि इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध कैसे किया जाएगा। क्या ग्रहण की वजह से पूजा-पाठ के नियमों में कोई बदलाव आएगा? आइए, जानते हैं इस बारे में सबकुछ।

सूर्य ग्रहण का समय और इसका असर

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, यह सूर्य ग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण 21 सितंबर को रात 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगा और 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगा। सबसे ख़ास बात यह है कि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए, इसका सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा।

 बिना किसी चिंता के करें तर्पण और श्राद्ध

चूंकि सूर्य ग्रहण भारत में नज़र नहीं आएगा, इसलिए इसका कोई भी धार्मिक प्रभाव यहाँ नहीं पड़ेगा। लोग बिना किसी चिंता या नियम में बदलाव के, जैसे हर साल सर्व पितृ अमावस्या मनाते हैं, वैसे ही मना सकते हैं। पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण, और दान-पुण्य के सभी काम सामान्य दिनों की तरह ही किए जा सकेंगे। ग्रहण की वजह से श्राद्ध कर्म में कोई भी बाधा नहीं आएगी।

 सर्व पितृ अमावस्या और शुभ संयोग

इस साल सर्व पितृ अमावस्या का दिन और भी ख़ास है, क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। यह शुभ योग सुबह 09 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 22 सितंबर की सुबह 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, पूरे दिन शुभ योग भी बना रहेगा। ऐसे में इस दिन पितरों के नाम से किया गया कोई भी काम बहुत ही फलदायी माना जाएगा।

अमावस्या तिथि: 21 सितंबर, रविवार को रात 12:16 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर, सोमवार की रात 01:23 बजे तक रहेगी।
 पूजा का शुभ समय: सुबह जल्दी स्नान और दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 04:34 से 05:22 बजे तक बहुत अच्छा है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा।

तो इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर मन में कोई भी शंका न रखें और पूरे विधि-विधान के साथ अपने पितरों को याद कर उनका श्राद्ध करें।