Up Kiran, Digital Desk: लद्दाख में विरोध प्रदर्शन का मुख्य चेहरा रहे प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के रडार पर आ गए हैं। CBI ने उनके और उनसे जुड़े तीन प्रमुख संगठनों के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी, विदेशी चंदा कानून (FCRA) के उल्लंघन और करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन को लेकर एक व्यापक जांच शुरू कर दी है। यह कार्रवाई लद्दाख में राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के ठीक बाद हुई है, जिसके लिए गृह मंत्रालय ने वांगचुक के "भड़काऊ बयानों" को जिम्मेदार ठहराया था।
तीन संगठन, दर्जनों बैंक खाते और करोड़ों का संदिग्ध लेन-देन
CBI की जांच सोनम वांगचुक से जुड़े तीन मुख्य संगठनों के इर्द-गिर्द केंद्रित है:
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL)स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL)उनकी निजी कंपनी शेषयोन Innovations Pvt Ltd (SIPL)
जांच एजेंसी इन तीनों संगठनों के जटिल वित्तीय जाल को खंगाल रही है, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं:
दान में विस्फोटक वृद्धि और छिपे हुए बैंक खाते: HIAL को मिलने वाला चंदा 2023-24 में ₹6 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में सीधे ₹15 करोड़ से अधिक हो गया। अधिकारियों का आरोप है कि संस्थान के 7 बैंक खातों में से 4 को अधिकारियों से छिपाया गया था।
FCRA का खुला उल्लंघन: आरोप है कि HIAL ने बिना उचित FCRA पंजीकरण के ₹1.5 करोड़ से अधिक का विदेशी चंदा प्राप्त किया। MHA द्वारा 2020 में FCRA रजिस्ट्रेशन से इनकार करने के बावजूद, HIAL ने एक HDFC खाते में ₹1.63 करोड़ की विदेशी धनराशि प्राप्त की।
NGO से निजी कंपनी में करोड़ों का ट्रांसफर: जांच का सबसे गंभीर पहलू HIAL (एक गैर-लाभकारी संस्था) से वांगचुक की निजी कंपनी शेषयोन Innovations में लगभग ₹6.5 करोड़ का बड़ा ट्रांसफर है। अधिकारियों को संदेह है कि इस पैसे को निकालने के लिए ही 2023 में एक नया खाता खोला गया था।
व्यक्तिगत खातों में भी विदेशी पैसा: जांच में यह भी पता चला है कि वांगचुक के 9 व्यक्तिगत बैंक खातों में से 8 अघोषित थे। 2018 से 2024 के बीच, उन्होंने इन खातों में कथित तौर पर ₹1.68 करोड़ विदेशी प्रेषण प्राप्त किए और 2021 से 2024 तक लगभग ₹3.23 करोड़ विदेश भेजे, जो मनी लॉन्ड्रिंग की चिंताएं बढ़ा सकता है।
यह आवाज दबाने की साजिश है": सोनम वांगचुक का जवाब
इन गंभीर आरोपों पर सोनम वांगचुक ने अपनी सफाई भी दी है। उन्होंने स्वीकार किया कि CBI की एक टीम ने पिछले हफ्ते उनके संगठनों का दौरा किया था और 2022 से 2024 के बीच प्राप्त विदेशी धन के बारे में जानकारी मांगी थी।
वांगचुक ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनके संगठन विदेशी फंडिंग से स्वतंत्रता पसंद करते हैं, लेकिन वे ज्ञान और विशेषज्ञता का निर्यात करके राजस्व कमाते हैं। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने तीन विशिष्ट मामलों में उनके द्वारा कमाए गए वैध राजस्व को गलती से विदेशी अंशदान मान लिया है, जो FCRA के अधीन आता है। उन्होंने इस पूरी जांच को अपने आंदोलन को दबाने की एक कोशिश करार दिया है।
यह मामला अब सिर्फ एक वित्तीय जांच तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसने एक बड़ा राजनीतिक रूप ले लिया है। एक तरफ जहां सरकार और जांच एजेंसियां इसे वित्तीय धोखाधड़ी और नियमों के उल्लंघन का मामला बता रही हैं, वहीं दूसरी ओर वांगचुक और उनके समर्थक इसे सरकार के खिलाफ उठने वाली असहमति की आवाज को चुप कराने की एक रणनीति के रूप में देख रहे हैं।
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