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बिहार की सियासत एक बार फिर चिराग पासवान के इर्द-गिर्द घूम रही है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री के हालिया बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। कुछ लोग उनके बयानों को CM पद की दावेदारी की तैयारी के रूप में देख रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि यह NDA के भीतर सीट बंटवारे की जंग का हिस्सा है। माना जा रहा है कि चिराग भाजपा की रणनीति के तहत जदयू पर दबाव बढ़ा रहे हैं ताकि 2025 के विधानसभा चुनाव में जदयू की हिस्सेदारी को कम किया जा सके। लेकिन क्या यह सब सिर्फ सियासी शोर है, या बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने की तैयारी?

चिराग का आक्रामक रुख और जदयू पर निशाना

चिराग पासवान की ताजा बयानबाजी ने राज्य की सियासत को गर्मा दिया है। उनकी पार्टी LJP (रामविलास) ने हाल ही में यह संकेत दिया है कि अगर NDA में उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अकेले चुनाव लड़ने को तैयार हैं। ये बयान सीधे तौर पर जदयू और उसके नेता नीतीश कुमार के लिए चुनौती माना जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, चिराग की ये रणनीति भाजपा के इशारे पर चल रही है। भाजपा बिहार में जदयू के साथ गठबंधन में है। अब वो जदयू की बढ़ती मोलभाव की ताकत को कम करना चाहती है। चिराग का आक्रामक रुख और उनकी पार्टी की मांगें जदयू को बैकफुट पर लाने की कोशिश का हिस्सा हो सकती हैं।

एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया ति चिराग भाजपा के लिए एक सियासी हथियार की तरह काम कर रहे हैं। उनकी हरकतें जदयू को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा हैं।

जदयू को नुकसान

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब चिराग पासवान ने जदयू के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने NDA से अलग होकर 100 से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसका नतीजा ये हुआ कि जदयू की सीटें 115 से घटकर 43 रह गईं। तो वहीं भाजपा ने 74 सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की।

चिराग पासवान के बयानों ने ये अटकलें तेज कर दी हैं कि वे मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की तैयारी में हैं। उनकी पार्टी के समर्थक और कुछ स्थानीय नेता उन्हें बिहार का अगला बड़ा चेहरा मान रहे हैं। हालांकि, बड़े पत्रकारों का मानना है कि ये दावेदारी सिर्फ सियासी शोर हो सकता है।