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पांचवें टेस्ट के दूसरे दिन केएल राहुल की बल्लेबाजी भले ही बड़ी पारी में तब्दील न हो पाई हो, लेकिन उनका इस दौरे का समग्र प्रदर्शन भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है। ओवल की पिच पर राहुल केवल सात रन ही बना सके और जल्द ही जोश टंग के शिकार बन गए, जिससे टीम को शुरुआती झटका लगा। हालांकि, उनकी जोड़ीदार यशस्वी जायसवाल ने अपने आक्रामक अंदाज से टीम को संभाला और महत्वपूर्ण अर्धशतक जड़ा।

इस टेस्ट सीरीज़ में राहुल ने कुल मिलाकर 532 रन जुटाए, जो उनकी व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ श्रृंखला स्कोर है। 1,000 से ज्यादा गेंदों का सामना कर उन्होंने अपनी स्थिरता और मानसिक मजबूती का परिचय दिया, जो लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए एक बड़ा योगदान साबित हो सकता है। हालांकि वे सुनील गावस्कर के 1979 के रिकॉर्ड 542 रनों को छूने से महज 10 रन पीछे रह गए, जो इंग्लैंड में एक टेस्ट श्रृंखला में किसी भारतीय सलामी बल्लेबाज द्वारा सर्वाधिक रन बनाने का कीर्तिमान है।

यशस्वी जायसवाल ने युवा खिलाड़ी के रूप में तीसरी पारी में शानदार प्रदर्शन किया। कुछ मौकों पर कैच छूटने के बावजूद उन्होंने अपनी बल्लेबाजी को मजबूती दी और एक जोरदार अपरकट के साथ अर्धशतक पूरा किया। उनकी यह पारी भारतीय मध्यक्रम को आगे बढ़ाने की उम्मीद जगाती है, खासकर जब टीम ने शुरुआती चार विकेट केवल 28 मिनट में गंवा दिए थे।

इंग्लैंड की तरफ से जैक क्रॉली और हैरी ब्रुक ने अपनी पारियों में अर्धशतक बनाए, जिससे मेजबान टीम को 23 रनों की बढ़त मिली। हालांकि उनका लय तो था, लेकिन बड़े स्कोर की तरफ टीम की बढ़त सीमित रही। वहीं भारत की इस पारी को यशस्वी और आकाश दीप जैसे युवा खिलाड़ियों के प्रदर्शन से उम्मीदों की नई किरण मिली है।

कुल मिलाकर इस मैच में भारतीय टीम की बल्लेबाजी में चुनौतियां जरूर दिखी, लेकिन राहुल की कड़ी मेहनत और जायसवाल का जोश दर्शाता है कि टीम युवा और अनुभवी खिलाड़ियों के सही मिश्रण से किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। यह श्रृंखला भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक सीख और भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आई है।

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