
Up Kiran, Digital Desk: एक बड़े घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने धर्मस्थल मंदिर और उसके धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के परिवार के खिलाफ 'झूठी खबरें' प्रकाशित करने पर मीडिया पर लगे प्रतिबंध (गैग ऑर्डर) को हटाने से इनकार कर दिया है। यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर आया है, जिसने मीडिया को धर्मस्थल मंदिर और हेगड़े परिवार के बारे में 'अपमानजनक और भ्रामक जानकारी' प्रकाशित करने से रोक दिया था।
क्या है पूरा मामला? हेगड़े परिवार ने आरोप लगाया था कि कुछ मीडिया आउटलेट्स उनके और धर्मस्थल मंदिर के खिलाफ 'मानहानिकारक और भ्रामक' खबरें प्रकाशित कर रहे हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को 'अपूरणीय क्षति' हो रही है। यह विवाद मुख्य रूप से 2012 के सौजन्या हत्याकांड से जुड़ा है।
यह एक कॉलेज छात्रा की हत्या का मामला था, जिसने कर्नाटक में काफी बवाल मचाया था। हालांकि, सीबीआई कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी को बरी कर दिया था, लेकिन मामले को लेकर सार्वजनिक बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
कानूनी यात्रा: कर्नाटक हाई कोर्ट की एकल पीठ ने शुरुआत में यह प्रतिबंध आदेश जारी किया था, जिसे बाद में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने भी बरकरार रखा। याचिकाकर्ताओं ने इस प्रतिबंध को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उनकी दलील थी कि यह आदेश प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, और जनहित के एक महत्वपूर्ण मामले में मीडिया को रिपोर्टिंग करने से रोकता है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सीधे तौर पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के पास वापस जा सकते हैं और प्रतिबंध आदेश को रद्द करने या उसमें संशोधन करने का अनुरोध कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस स्तर पर खुद हस्तक्षेप करने से परहेज किया है, जिससे फिलहाल मीडिया कवरेज पर लगा यह प्रतिबंध बरकरार रहेगा।
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