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सुप्रीम कोर्ट का सोमवार का दिन कानूनी गतिविधियों से भरपूर रहने वाला है। जस्टिस वर्मा और SIR की पीठों में कई संवेदनशील, राजनीतिक और सामाजिक महत्व के मामलों की सुनवाई तय है। माना जा रहा है कि इन सुनवाइयों के परिणाम से देश की कानून व्यवस्था और सामाजिक विमर्श पर बड़ा असर पड़ सकता है।

जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ एक महत्वपूर्ण चुनाव सुधार याचिका पर सुनवाई करेगी जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों की अयोग्यता, दागी नेताओं पर रोक और चुनावी पारदर्शिता से जुड़े पहलुओं पर विचार किया जाएगा। यह याचिका लंबे समय से लंबित है और इस पर देश की निगाहें टिकी हैं।

वहीं, जस्टिस SIR की बेंच नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इन याचिकाओं में अधिनियम को संविधान की मूल भावना के विरुद्ध बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है। कोर्ट पहले ही इस मामले में केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब मांग चुका है।

इसके अलावा कोर्ट सोमवार को तीन तलाक से संबंधित एक विशेष पुनर्विचार याचिका, ईवीएम पारदर्शिता को लेकर एक एनजीओ की याचिका, और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से जुड़े कुछ शैक्षणिक विवादों पर भी सुनवाई करेगी।

कानूनी जानकारों के अनुसार, यह दिन देश के लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था के कई आयामों को दिशा देने वाला साबित हो सकता है। कोर्ट में पेश होने वाले वकीलों, याचिकाकर्ताओं और पत्रकारों के लिए यह दिन अत्यधिक व्यस्त और निर्णायक होगा।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होने वाली ये सुनवाइयाँ एक बार फिर साबित करेंगी कि भारत की न्यायपालिका लोकतंत्र की रीढ़ है और उसकी हर गतिविधि का प्रभाव सीधे आमजन पर पड़ता है।

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