
Up Kiran, Digital Desk: भारत की दिग्गज नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) कंपनी सुजलॉन एनर्जी ने एक बहुत बड़ी वैश्विक उपलब्धि हासिल की है। कंपनी की S144 सीरीज़ की पवन चक्कियों (Wind Turbines) को दुनिया में सबसे कम "कार्बन फुटप्रिंट" का दर्जा मिला है।
क्या होता है कार्बन फुटप्रिंट?
सरल शब्दों में, किसी भी उत्पाद को बनाने, इस्तेमाल करने और फिर खत्म करने की पूरी प्रक्रिया में जितनी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और अन्य ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, उसे उसका "कार्बन फुटप्रिंट" कहते हैं। जिस उत्पाद का कार्बन फुटप्रिंट जितना कम होता है, वह पर्यावरण के लिए उतना ही बेहतर माना जाता है।
सुजलॉन की बड़ी कामयाबी
एक वैश्विक और स्वतंत्र ऊर्जा विशेषज्ञ कंपनी DNV ने यह प्रमाणित किया है कि सुजलॉन के 3 MW S144 टर्बाइन का कार्बन फुटप्रिंट सिर्फ़ 5.56 ग्राम CO2 प्रति किलोवाट-घंटा (kWh) है।
यह आंकड़ा इसलिए ख़ास है क्योंकि ज़मीन पर लगने वाली ऐसी पवन चक्कियों का वैश्विक औसत कार्बन फुटप्रिंट 9.21 ग्राम और भारत का औसत 12.35 ग्राम है। यानी सुजलॉन का टर्बाइन दुनिया के औसत से लगभग 40% और भारत के औसत से 55% से भी ज़्यादा साफ़ और पर्यावरण के अनुकूल है।
यह उपलब्धि "मेड इन इंडिया" मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक मील का पत्थर है और यह दिखाती है कि भारतीय कंपनियां सिर्फ़ प्रोडक्ट्स बना ही नहीं रही हैं, बल्कि उन्हें दुनिया में सबसे बेहतर और पर्यावरण के लिए सबसे अनुकूल भी बना रही हैं।
सुजलॉन के CEO, जे पी चालासानी ने इस उपलब्धि पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा, “यह सर्टिफिकेशन हमारी तकनीक और सस्टेनेबिलिटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम भारत की स्वच्छ ऊर्जा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए लगातार इनोवेशन करते रहेंगे।”
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