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Up Kiran, Digital Desk: भारत में तालिबान की पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर विवाद तेज हो गया है। शुक्रवार को आयोजित इस कार्यक्रम में किसी भी महिला पत्रकार को शामिल नहीं किया गया, जिससे कई सवाल उठने लगे हैं।

सोशल मीडिया पर जैसे ही तस्वीरें वायरल हुईं, लोगों ने तालिबान की लैंगिक सोच को लेकर आलोचना शुरू कर दी। रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रेस वार्ता में सिर्फ पुरुष पत्रकार ही मौजूद थे।

भारत सरकार ने दी सफाई

विदेश मंत्रालय (MEA) ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए साफ किया कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। मंत्रालय ने कहा कि अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की बैठक के बाद प्रेस वार्ता का आयोजन अफगान दूतावास में किया गया था।

सरकार के अनुसार, मीडिया आमंत्रण की ज़िम्मेदारी तालिबान प्रतिनिधिमंडल की थी, और उन्होंने ही तय किया कि किसे बुलाया जाएगा।

तालिबान का बयान और बचाव

जब पत्रकारों ने अफगान महिलाओं की स्थिति पर सवाल पूछे, तो मुत्ताकी ने उन्हें टाल दिया। उनका कहना था कि,

"हर देश के अपने नियम और सांस्कृतिक सिद्धांत होते हैं। हमें अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों का सम्मान करना चाहिए।"

उन्होंने दावा किया कि तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद देश की सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है।

तालिबान की महिला विरोधी नीतियों पर फिर सवाल

2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से, महिलाओं के अधिकारों को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आई हैं।

लड़कियों की स्कूलिंग छठी कक्षा के बाद बंद

महिलाओं को कई जगह काम करने की अनुमति नहीं

सख्त ड्रेस कोड लागू

संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इन कदमों की कड़ी आलोचना की है।

भारत में बढ़ी आलोचना

दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों को न बुलाए जाने से भारत में पत्रकार समुदाय और सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताई है। यह घटना तालिबान की असली सोच को फिर से उजागर करती है।