
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से राज्य में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSUs) के पास अप्रयुक्त पड़ी विशाल भूमि के मुद्दे को तत्काल सुलझाने का आग्रह किया है। राज्य का मानना है कि इस भूमि का उपयोग तेलंगाना के औद्योगिक और आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
तेलंगाना के उद्योग मंत्री डी. श्रीधर बाबू ने इस संबंध में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने बताया कि कई केंद्रीय PSU के पास तेलंगाना में, खासकर हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में, बड़ी मात्रा में मूल्यवान भूमि है जो या तो खाली पड़ी है या उसका पूरी तरह से उपयोग नहीं हो रहा है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब राज्य सरकार को औद्योगिक पार्कों, आईटी गलियारों, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और अन्य विकास गतिविधियों के लिए भूमि की आवश्यकता होती है।
मंत्री ने याद दिलाया कि पिछली बीआरएस सरकार के दौरान भी तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कई बार इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने उठाया था, लेकिन दुर्भाग्य से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।
तेलंगाना सरकार का तर्क है कि यदि इस अप्रयुक्त भूमि को राज्य को हस्तांतरित कर दिया जाता है या इसके उत्पादक उपयोग की अनुमति दी जाती है, तो यह दोनों सरकारों के लिए फायदेमंद होगा। केंद्र सरकार इस भूमि को बेचकर या पट्टे पर देकर राजस्व अर्जित कर सकती है, जबकि राज्य सरकार इसका उपयोग रोजगार सृजन और निवेश आकर्षित करने वाले औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कर सकती है।
श्रीधर बाबू ने इस बात पर जोर दिया कि हैदराबाद के आईटी गलियारे जैसे रणनीतिक स्थानों पर स्थित ये भूखंड अत्यधिक मूल्यवान हैं और इनका उपयोग राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में तेलंगाना सरकार इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और उसे उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस अपील पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी। इस कदम से न केवल तेलंगाना का विकास होगा, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
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