
दुनियाभर में आतंकवाद का खतरा लगातार गहराता जा रहा है। भारत, अफ्रीका, और अन्य देशों में हालिया हमले इस बात की तस्दीक करते हैं कि वैश्विक शांति कितनी गंभीर चुनौती से जूझ रही है। भारत के जम्मू-कश्मीर में हुए हमले में 26 जानें जाने के कुछ ही दिनों बाद अब नाइजीरिया से भी एक दर्दनाक खबर सामने आई है।
नाइजीरिया के बोर्नो राज्य में दोहरे बम ब्लास्ट
सोमवार को नाइजीरिया के पूर्वोत्तर बोर्नो राज्य में दो जबरदस्त बम धमाके हुए, जिन्होंने पूरे इलाके को दहला दिया।
आतंकियों ने दो अलग-अलग वाहनों में विस्फोट कर इस हमले को अंजाम दिया।
शुरुआती जानकारी के मुताबिक, कम से कम 26 लोगों की जान इस हमले में चली गई है।
अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संगठनों ने इस त्रासदी की पुष्टि करते हुए कहा कि घायलों की संख्या भी काफी अधिक है।
बोर्नो राज्य लंबे समय से इस्लामी उग्रवाद का गढ़ रहा है, और इस इलाके में ऐसे हमले कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इस बार का हमला अपने पैमाने और बर्बरता के चलते अलग नजर आ रहा है।
आतंकी हमलों में लगातार बढ़ोतरी: नाइजीरिया में हालात बद से बदतर
नाइजीरिया बीते कुछ महीनों से आतंकी हमलों की चपेट में है।
दो दिन पहले ही जम्फारा राज्य के एक गांव में हथियारबंद लोगों ने 20 से ज्यादा निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी।
हमलावरों ने सोने की खदानों और बाद में मस्जिदों और घरों पर हमला किया था।
इसके अलावा:
दो हफ्ते पहले नाइजीरिया के उत्तर-मध्य इलाके में एक ईसाई कृषक समुदाय पर हमला हुआ था, जिसमें कम से कम 40 लोग मारे गए थे।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, हमले इतने अचानक और भीषण थे कि लोग भागने तक का मौका नहीं पा सके।
बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग—किसी को भी नहीं बख्शा गया। यह दर्शाता है कि नाइजीरिया के कई हिस्सों में सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर हो चुकी है।
भारत में भी आतंकी हमले ने बढ़ाई चिंता
भारत भी इस समय आतंकी हमलों के बढ़ते खतरे से जूझ रहा है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत ने देश को झकझोर कर रख दिया।
भारत और नाइजीरिया दोनों जगहों पर आतंकी गतिविधियों का बढ़ना एक बड़ी वैश्विक चुनौती की ओर इशारा करता है। इन हमलों के पीछे क्षेत्रीय असंतोष, चरमपंथ और विदेशी आतंकवादी संगठनों की भूमिका अहम मानी जा रही है।
दुनिया को चाहिए एकजुट प्रतिक्रिया
चाहे भारत हो या नाइजीरिया, आतंकवाद अब किसी एक देश की समस्या नहीं रहा। वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में देशों को एकजुट होकर काम करना होगा।
सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा
कट्टरपंथी संगठनों पर शिकंजा
अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना
यह सब आज की जरूरत बन चुका है।
अगर अभी भी दुनिया ने इस खतरे को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं और भी ज्यादा विकराल रूप ले सकती हैं।
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