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पाकिस्तान में आतंकवाद की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में आए दिन होने वाले हमलों ने आम जनता के बीच भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। ताजा मामला शुक्रवार को सामने आया, जब खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के डेरा इस्माइल खान जिले में एक घातक आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने एक पुलिस वैन को निशाना बनाकर उस पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल और एक कैदी की मौके पर ही मौत हो गई।

यह हमला डेरा इस्माइल खान के चौदवान थाना क्षेत्र में उस समय हुआ जब पुलिस की एक टीम एक कैदी को अदालत में पेशी के लिए लेकर जा रही थी। जैसे ही वैन चौदवान क्षेत्र से गुजरी, आतंकियों ने सुनियोजित तरीके से घात लगाकर हमला कर दिया। हमले की तीव्रता इतनी अधिक थी कि वैन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। गनीमत रही कि चौदवान पुलिस थाने के प्रभारी इस हमले में बाल-बाल बच गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों ने अचानक गोलियां चलाईं, जिससे वैन का संतुलन बिगड़ गया और वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।

गवर्नर ने जताई चिंता, सरकार पर साधा निशाना

घटना के बाद खैबर पख्तूनख्वा के गवर्नर फैसल करीम कुंडी ने इस हमले को लेकर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और कहा कि इस प्रकार की घटनाएं कानून व्यवस्था की नाकामी को दर्शाती हैं। उन्होंने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। साथ ही उन्होंने प्रांतीय सरकार की आलोचना करते हुए इस घटना को 'आपराधिक लापरवाही' करार दिया।

गवर्नर कुंडी का कहना है कि सुरक्षा बलों को बार-बार निशाना बनाया जाना यह दर्शाता है कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में गंभीर खामियां हैं। उन्होंने सरकार से कहा कि वह सुरक्षा रणनीतियों की पुनः समीक्षा करे और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही सुनिश्चित करे।

लगातार बढ़ रही हैं आतंकी घटनाएं

बीते कुछ महीनों में पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी गई है, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे अशांत क्षेत्रों में। सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल आतंकी हमलों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। पुलिस, सेना और आम नागरिकों को निशाना बनाने की ये घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि देश को आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीतियों को और अधिक कठोर बनाना होगा।

इस तरह की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि देश की स्थिरता और आम नागरिकों की सुरक्षा को भी खतरे में डालती हैं। जब तक आतंकवाद के खिलाफ एक ठोस और सख्त रुख नहीं अपनाया जाता, तब तक ऐसे हमले होते रहेंगे और मासूम लोग इसकी भेंट चढ़ते रहेंगे।