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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेट टीम के वेस्टइंडीज दौरे के लिए टेस्ट टीम का ऐलान हो चुका है और इस ऐलान के साथ ही एक ऐसा सवाल खड़ा हो गया है, जो भारतीय क्रिकेट के हर फैन और विशेषज्ञ की जुबान पर है - आखिर अभिमन्यु ईश्वरन की क्या गलती थी? सालों से भारतीय टेस्ट टीम के दरवाजे पर दस्तक दे रहे और घरेलू क्रिकेट में रनों का पहाड़ खड़ा कर रहे बंगाल के इस सलामी बल्लेबाज को बिना एक भी मौका दिए टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

यह फैसला इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि ईश्वरन सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन गए थे उस धैर्य और कड़ी मेहनत का, जो एक क्रिकेटर घरेलू क्रिकेट में करता है, ताकि वह एक दिन देश के लिए खेल सके। लेकिन चयनकर्ताओं के इस फैसले ने इस तमाम मेहनत पर पानी फेर दिया है।

बैकअप से भी बाहर, टूटा डेब्यू का सपना

अभिमन्यु ईश्वरन पिछले कई सालों से भारतीय टेस्ट टीम के साथ एक रिजर्व ओपनर के तौर पर लगातार यात्रा कर रहे थे। बांग्लादेश दौरे से लेकर हर घरेलू सीरीज तक, वह टीम का हिस्सा रहे, नेट्स में पसीना बहाया, और बेंच पर बैठकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। उन्हें कभी भी प्लेइंग इलेवन में शामिल होने का मौका नहीं मिला।

अब जब वेस्टइंडीज दौरे पर उम्मीद की जा रही थी कि शायद उनका लंबा इंतजार खत्म होगा, तो उन्हें प्लेइंग इलेवन तो दूर, 15 सदस्यीय मुख्य टीम से ही बाहर कर दिया गया।

क्यों हुए 'अनुभव' के आगे 'प्रदर्शन' की अनदेखी?

ईश्वरन को बाहर किए जाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे की टीम में वापसी को माना जा रहा है। मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर और कोच राहुल द्रविड़ ने अनुभव को तरजीह देते हुए इन दोनों दिग्गजों को वापस बुलाया।

टीम में पहले से ही रोहित शर्मा, शुभमन गिल और यशस्वी जायसवाल के रूप में तीन ओपनिंग/टॉप-ऑर्डर के विकल्प मौजूद हैं। ऐसे में, जब पुजारा और रहाणे को मिडिल-ऑर्डर को मजबूत करने के लिए शामिल किया गया, तो अतिरिक्त बल्लेबाज के तौर पर ईश्वरन की जगह नहीं बन पाई।

क्या कहते हैं ईश्वरन के आंकड़े?

ईश्वरन ने इंडिया 'ए' के लिए कप्तानी करते हुए और सलामी बल्लेबाजी करते हुए लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है।

घरेलू क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड शानदार है, जहां उन्होंने बंगाल के लिए हजारों रन बनाए हैं।

उन्हें भविष्य के टेस्ट ओपनर के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन अब उनका भविष्य ही अंधकार में नजर आ रहा है।

खिलाड़ी के मनोबल पर क्या होगा असर?

बिना कोई मौका दिए, बिना यह देखे कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसा प्रदर्शन करते हैं, किसी खिलाड़ी को इस तरह बाहर कर देना बेहद निराशाजनक और मनोबल तोड़ने वाला होता है। यह फैसला उन सैकड़ों युवा खिलाड़ियों को क्या संदेश देता है, जो घरेलू क्रिकेट में सिर्फ इसलिए मेहनत कर रहे हैं ताकि एक दिन उन्हें भी मौका मिलेगा?

अभिमन्यु ईश्वरन का मामला भारतीय क्रिकेट में एक दुखद कहानी बन गया ,जहां प्रदर्शन और धैर्य पर 'अनुभवी' नामों को तरजीह दी गई। अब देखना यह है कि यह प्रतिभाशाली बल्लेबाज इस झटके से उबरकर कैसे वापसी करता है।