तेलंगाना अब भविष्य की एक नई उड़ान भरने की तैयारी में है. राज्य सरकार ने "रोडमैप 2030" का ऐलान किया है, जिसका मकसद तेलंगाना को 'बायो-डिजिटल' विकास का एक ग्लोबल हब बनाना है. यह रोडमैप लाइफ साइंसेज (जीवन विज्ञान) और फार्मास्युटिकल सेक्टर को डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर एक नई क्रांति लाने का वादा करता है.
क्या है यह 'बायो-डिजिटल' क्रांति?
सीधे शब्दों में कहें तो, यह बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी का संगम है. इसका लक्ष्य दवाइयां बनाने, बीमारियों का इलाज खोजने और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा साइंस और अन्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग करना है. तेलंगाना सरकार का मानना है कि इस रास्ते पर चलकर राज्य न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया में एक लीडर बनकर उभर सकता है.
2030 तक का ambitious लक्ष्य: तेलंगाना के आईटी और उद्योग मंत्री, डी. श्रीधर बाबू ने इस रोडमैप का अनावरण करते हुए कुछ बड़े लक्ष्यों की घोषणा की:
200 बिलियन डॉलर का लक्ष्य: सरकार का लक्ष्य 2030 तक राज्य के लाइफ साइंसेज सेक्टर को 200 बिलियन डॉलर (लगभग 16 लाख करोड़ रुपये) के विशाल मूल्य तक पहुँचाना है. यह मौजूदा 90 बिलियन डॉलर से दोगुने से भी ज्यादा है.
ग्लोबल इनोवेशन हब: तेलंगाना को बायो-डिजिटल प्रोडक्ट्स और सेवाओं के लिए एक वैश्विक नवाचार केंद्र (Global Innovation Hub) के रूप में स्थापित करना.
मंत्री ने जोर देकर कहा कि हैदराबाद, जो पहले से ही भारत की "फार्मा सिटी" के रूप में जाना जाता है, इस क्रांति का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
कैसे हासिल होगा यह लक्ष्य?
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने एक स्पष्ट रणनीति बनाई है. इसमें "तेलंगाना बायो-डिजिटल इनोवेशन मिशन" (Telangana Bio-Digital Innovation Mission) की स्थापना भी शामिल है. यह मिशन इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं को एक साथ लाएगा ताकि वे मिलकर काम कर सकें और नई तकनीकों का विकास कर सकें.
यह रोडमैप सिर्फ एक घोषणा नहीं है, बल्कि तेलंगाना को भविष्य के एक ऐसे पावरहाउस के रूप में स्थापित करने का एक ठोस प्लान है, जहाँ टेक्नोलॉजी लोगों की जान बचाने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का काम करेगी.
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