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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में एक ऐसा अनूठा तीर्थ स्थल है, जहाँ की मिट्टी को सांपों का काल माना जाता है। यह स्थान है देवकाली तीर्थ, जो अपनी अलौकिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि इस पवित्र स्थल की मिट्टी को घर में कहीं भी रख दिया जाए, तो वहां सांप प्रवेश नहीं करते। यह मान्यता न केवल स्थानीय लोगों में बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं में भी गहरी आस्था का कारण है।

देवकाली तीर्थ: जहाँ इतिहास और आस्था का संगम

लखीमपुर खीरी शहर से लगभग 9 किलोमीटर पश्चिम में स्थित देवकाली तीर्थ, महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इस स्थान को महाभारत के राजा जन्मेजय की नाग यज्ञ स्थली के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि राजा जन्मेजय ने अपने पिता राजा परीक्षित की तक्षक नाग द्वारा हुई मृत्यु का बदला लेने के लिए इसी पवित्र भूमि पर एक विशाल सर्प यज्ञ किया था। उस यज्ञ की भस्म और अवशेष आज भी यहां के सर्पकुंड की गहराई में पाए जाते हैं। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण, यह तीर्थ नाग पूजा और कालसर्प योग निवारण के लिए तंत्र साधना का एक प्रमुख केंद्र भी है।

मिट्टी का अद्भुत प्रभाव: सांपों से सुरक्षा का रहस्य

देवकाली तीर्थ से जुड़ी सबसे अनोखी मान्यता यहाँ की मिट्टी को लेकर है। नाग पंचमी के अवसर पर, विशेषकर सर्पकुंड से प्राप्त मिट्टी को श्रद्धालु अपने घरों में ले जाते हैं। स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों का दृढ़ विश्वास है कि यह मिट्टी सांपों को दूर रखती है और घर में किसी भी प्रकार के सर्प प्रवेश से सुरक्षा प्रदान करती है। यह मिट्टी अपने आप में एक सुरक्षा कवच मानी जाती है, जो किसी भी प्रकार के विषैले जीव-जंतुओं के भय को दूर करती है।

पौराणिक कथाएं और देवस्थली का महत्व:

इस स्थान का नामकरण राजा देवक की पुत्री देवकली के नाम पर हुआ बताया जाता है, जिन्होंने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी। यहाँ एक प्राचीन देवेश्वर शिव मंदिर भी स्थापित है, जिसके प्रांगण में एक खंडित शिवलिंग है। कहा जाता है कि मुगल शासकों ने इस शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया था, लेकिन वे इसे केवल खंडित ही कर पाए। पारासर पुराण और महाभारत काल के ग्रंथों में भी इस स्थान को 'देवस्थली' के रूप में वर्णित किया गया है, जो इसके प्राचीन और महत्वपूर्ण होने का प्रमाण है।

नाग पंचमी का विशेष महत्व:

नाग पंचमी के दिन देवकली तीर्थ पर विशेष अनुष्ठान और मेले का आयोजन होता है। श्रद्धालु यहाँ पहुँचकर माँ देवकाली के दर्शन करते हैं, सर्पकुंड में स्नान करते हैं और कालसर्प दोष की शांति के लिए अनुष्ठान भी करवाते हैं। यह मान्यता भी है कि यहाँ की मिट्टी सांपों के लिए 'काल' है और इसे घर में रखने से नागों का भय समाप्त हो जाता है।