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Up Kiran, Digital Desk: इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज ओली पोप ने हाल ही में क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों के व्यवहार में आ रहे बड़े बदलाव पर अपनी बात रखी है। उनका मानना है कि अब 'स्लेजिंग' (जुबानी जंग) उतनी आक्रामक नहीं रही, जितनी पहले हुआ करती थी और इसका श्रेय उन्होंने फ्रैंचाइजी क्रिकेट के बढ़ते प्रभाव को दिया।

पोप ने खुद को 'बड़ा स्लेजर' नहीं बताया। उन्होंने कहा कि वह मैदान पर हल्की-फुल्की 'बेंटर' यानी जुबानी मजाक तो करते हैं, लेकिन निजी या अपमानजनक बातें कभी नहीं करते। पोप के अनुसार, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL), द हंड्रेड और बिग बैश लीग (BBL) जैसी दुनिया भर की लीग्स ने खिलाड़ियों को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है। अब अलग-अलग देशों के खिलाड़ी एक ही टीम में खेलते हैं, जिससे उनके बीच दोस्ती और समझ बढ़ती है।

पोप ने समझाया कि जब आप जानते हैं कि आपका विपक्षी खिलाड़ी भी आपका दोस्त है, तो मैदान पर उसके खिलाफ हद से ज्यादा आक्रामक या अपमानजनक होना काफी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि अब मैदान पर खिलाड़ियों के बीच एक 'आपसी सम्मान' (म्युचुअल रेस्पेक्ट) का माहौल बन गया है।

उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों जो रूट और बेन स्टोक्स का उदाहरण देते हुए कहा कि ये ऐसे खिलाड़ी हैं जो कभी भी किसी को नीचा नहीं दिखाते, बल्कि हमेशा सम्मान करते हैं।

पोप ने यह भी माना कि इंग्लैंड की 'बैजबॉल' (आक्रामक) क्रिकेट खेलने की शैली ने भी इस सकारात्मक बदलाव में योगदान दिया है, जहाँ खेल को हमेशा सही भावना के साथ खेला जाता है। कुल मिलाकर, पोप का मानना है कि फ्रैंचाइजी क्रिकेट ने खेल को और अधिक दोस्ताना और सम्मानजनक बना दिया है, जो क्रिकेट के भविष्य के लिए एक अच्छी बात है।

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