
Up Kiran, Digital Desk: मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर एक नया कानूनी मोड़ सामने आया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें यह मांग की गई थी कि विवादित स्थल पर बनी शाही ईदगाह मस्जिद को 'विवादित ढांचा' (Disputed Structure) के रूप में संदर्भित किया जाए।
यह निर्णय उन हिंदू याचिकाकर्ताओं के लिए एक झटका है जो इस मामले में मस्जिद को विवादित ढांचे के रूप में घोषित करवाना चाहते थे, ठीक वैसे ही जैसे अयोध्या में बाबरी मस्जिद को कहा जाता था।
यह याचिका उस व्यापक कानूनी लड़ाई का हिस्सा है जिसमें हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि शाही ईदगाह मस्जिद असल में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पर बनी है और वे इस जगह को वापस चाहते हैं। अयोध्या विवाद के फैसले के बाद से, मथुरा और काशी (ज्ञानवापी मस्जिद) के मामलों में भी इसी तरह के दावे किए जा रहे हैं।
उच्च न्यायालय का रुख:
उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केवल कोर्ट की कार्यवाही में इस्तेमाल होने वाले शब्दों को बदलने की मांग करना उचित नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि 'विवादित ढांचा' शब्द किसी संरचना के कानूनी स्थिति का निर्धारण करता है, और यह तभी तय किया जा सकता है जब सभी पक्षों के तर्क और सबूतों पर विस्तृत सुनवाई हो जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामले में केवल शब्दों के प्रयोग से भ्रम पैदा हो सकता है और कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सकता है।
इस निर्णय का यह अर्थ नहीं है कि मस्जिद से संबंधित मुख्य मामला खारिज हो गया है; बल्कि, यह केवल एक विशिष्ट मांग को खारिज करता है जो मामले की शब्दावली से संबंधित थी। कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के स्वामित्व और स्थिति को लेकर मुख्य कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है और इस पर आगे सुनवाई होगी।
यह फैसला इस संवेदनशील मामले में एक और कानूनी पहलू को सामने लाता है और दिखाता है कि भारतीय न्यायपालिका ऐसे धार्मिक और ऐतिहासिक विवादों से कैसे निपट रही है। हिंदू पक्ष अब अपनी मुख्य याचिका पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें वे मस्जिद को हटाने और उस स्थान को हिंदुओं को सौंपने की मांग कर रहे हैं।
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