
Up Kiran, Digital Desk: जब भी भारत और पाकिस्तान का मैच होता है, तो सड़कें सूनी हो जाती हैं, सांसें थम जाती हैं और देशभक्ति का पारा आसमान पर पहुंच जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर आईसीसी (ICC) टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में कैसे आ जाते हैं? क्या यह सिर्फ एक इत्तेफाक है?
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और दुनिया के सबसे सम्मानित क्रिकेट कमेंटेटरों में से एक, माइकल एथरटन का मानना है कि यह कोई इत्तेफाक नहीं है। उन्होंने अपने एक लेख में क्रिकेट की दुनिया को हिलाकर रख देने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि भारत-पाकिस्तान का यह मुकाबला अब सिर्फ खेल नहीं रह गया है, बल्कि यह "आर्थिक जरूरतों" को पूरा करने वाला एक धंधा बन गया है।
"ड्रॉ फिक्स किए जाते हैं, ताकि हो सके मैच"
माइकल एथरटन ने सीधे-सीधे ICC पर उंगली उठाते हुए कहा है कि हर टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान का मैच कराने के लिए ड्रॉ को "साफ-सुथरे तरीके से अरेंज" किया जाता है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया:
2013 के बाद से हर आईसीसी इवेंट—चाहे वो वनडे वर्ल्ड कप हो, T20 वर्ल्ड कप हो या चैंपियंस ट्रॉफी—भारत और पाकिस्तान को ग्रुप स्टेज में एक साथ रखा गया है।
उन्होंने लिखा, "इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि टूर्नामेंट का फॉर्मेट क्या है... ड्रॉ हमेशा ऐसे सेट किए जाते हैं कि भारत-पाकिस्तान का मुकाबला पक्का हो जाए।"
क्यों बन गया है यह मैच इतना ज़रूरी?
एथरटन का मानना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह पैसा है। भारत-पाकिस्तान के मैच की वजह से ही आईसीसी टूर्नामेंट्स के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स की कीमत आसमान छूती है। उन्होंने बताया कि हाल ही में 2023-27 साइकिल के लिए यह अधिकार लगभग 3 अरब डॉलर (करीब ₹25 हजार करोड़) में बिके हैं।
"यह एक ऐसा मैच है जो बहुत बड़ी आर्थिक ताकत रखता है... यही वजह है कि यह उन लोगों के बैलेंस शीट के लिए बहुत ज़रूरी है जिनका इससे सीधे-सीधे कोई लेना-देना नहीं होता।"
'यह क्रिकेट नहीं, दुश्मनी का प्रचार बन गया है'
एथरटन ने सिर्फ पैसे की ही बात नहीं की, बल्कि उन्होंने कहा कि अब यह मैच खेल नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच की "दुश्मनी और प्रचार का एक जरिया" बन गया है। उन्होंने हाल ही में हुए एशिया कप का उदाहरण दिया, जहाँ:
भारतीय टीम ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था।
एशियन क्रिकेट काउंसिल के पाकिस्तानी अध्यक्ष मोहसिन नकवी जब ट्रॉफी देने आए, तो भारतीय खिलाड़ियों ने उनसे ट्रॉफी लेने से मना कर दिया था।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पहले ही बहुत बढ़ गया है। ऐसे में एथरटन का मानना है कि खेल को इस राजनीतिक टेंशन का जरिया नहीं बनने देना चाहिए। उन्होंने एक बहुत बड़ी और चौंकाने वाली मांग करते हुए कहा है कि जब तक हालात ठीक न हो जाएं, भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट पूरी तरह से बंद कर देनी चाहिए।
उनका यह लेख क्रिकेट की दुनिया में एक तूफान लेकर आया है, और अब हर कोई यह सोचने पर मजबूर हो गया कि जिसे हम जज्बातों का खेल समझते हैं, क्या वह वाकई सिर्फ पैसों का खेल बनकर रह गया है?