
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना में गोदावरी नदी के तट पर रहने वाले हजारों लोगों के सिर पर इस समय एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। नदी का तटबंध (embankment) कई जगहों पर कमजोर और नाजुक हालत में है, जिससे मानसून के मौसम में नदी में पानी का स्तर बढ़ने पर बड़े पैमाने पर बाढ़ और तबाही का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति स्थानीय निवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है, जो हर साल बारिश के मौसम में डर के साए में जीते हैं।
गोदावरी नदी का तटबंध, जिसे मुख्य रूप से बाढ़ से बचाने के लिए बनाया गया था, अब खुद ही कमजोर पड़ चुका है। कई स्थानों पर कटाव और दरारें स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं, जिससे बाढ़ का पानी आसानी से रिहायशी इलाकों में घुस सकता है। यह समस्या विशेष रूप से उन निचले इलाकों में अधिक गंभीर है जो नदी के सीधे संपर्क में हैं।
स्थानीय निवासियों और विशेषज्ञों का कहना है कि तटबंध के रखरखाव और मरम्मत में वर्षों से अनदेखी की गई है। आवश्यक सुदृढीकरण (strengthening) और नियमित निरीक्षण (regular inspection) की कमी के कारण इसकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। हर मानसून में जब नदी में जलस्तर बढ़ता है, तो तटबंध पर दबाव बढ़ता है, जिससे उसके टूटने का खतरा और बढ़ जाता है।
यह कमजोर तटबंध न केवल ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी गंभीर बाढ़ ला सकता है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है। लोगों को अपने घरों और आजीविका के नष्ट होने का डर सता रहा है।
स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार और सिंचाई विभाग से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उनकी मांग है कि मानसून शुरू होने से पहले तटबंध के कमजोर हिस्सों की तुरंत मरम्मत की जाए और उसे मजबूत किया जाए। वे स्थायी समाधान के रूप में तटबंध के नियमित रखरखाव और बाढ़ प्रबंधन योजनाओं को बेहतर बनाने पर भी जोर दे रहे हैं।
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