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15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस, पर अगर आप देशभक्ति का जश्न मनाने का और इतिहास को करीब से महसूस करने का इरादा रखते हैं, तो सिर्फ हिल‑स्टेशन या समुद्र तट नहीं, कुछ विशेष इमारतें भी अपनी यात्रा सूची में शामिल करें—वो हैं जिन्हें पत्थरों में जीता‑जागता इतिहास बसता है।
1. हवामहल, जयपुर
1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया यह महल पत्थर की जालीदार 953 खिड़कियों से लैस है, जहां से राजलड़कियाँ पर्दा करके बाहर की दुनिया देख सकती थीं। ये भवन बिना नींव के खड़ा होने के बावजूद आज भी मजबूती से टिका है, जैसे समय को थामे खड़ा हो।
2. सांची स्तूप, मध्य प्रदेश
भोपाल से लगभग 50 किमी दूर स्थित यह स्तूप सम्राट अशोक द्वारा तीसरी सदी ई.पू. में बनवाया गया था। इसका विशाल गुंबद और चारों ओर बने तोरण द्वार बुद्ध की जातक कथाओं और जीवन‑मुक्ति के संदेश से समृद्ध हैं।
3. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
13वीं सदी में गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम की प्रेरणा से निर्मित यह मंदिर एक विशाल रथ जैसी संरचना के साथ पत्थरों में समय को मापने वाले पहियों से मशहूर है—वास्तव में यह धूपघड़ी की तरह काम करते हैं।
4. रानी की वाव, गुजरात
गुजरात के पाटन में स्थित यह गहराई में उतरने वाली बावड़ी 11वीं शताब्दी की स्थापत्य कला की उत्कृष्ट मिसाल है। सात स्तरों वाली इस संरचना में पत्थर की नक्काशी और मूर्तियों की सुंदरता इतिहास को जीवंत कर देती है। UNESCO द्वारा इसे विश्व धरोहर का दर्जा भी मिला है।
5. विक्टोरिया मेमोरियल, कोलकाता
ब्रिटिश राज की यादों वाला यह सफेद संगमरमर का विशाल स्मारक लौर्ड कर्ज़न की कल्पना पर आधारित है और महारानी विक्टोरिया की याद में 1921 में बनकर तैयार हुआ था। इसके भीतर संग्रहालय, पेंटिंग्स और ब्रिटिश काल की कहानियाँ आज भी जीवंत हैं।
ये पांच स्थल सिर्फ पत्थर नहीं, देश के गौरवशाली इतिहास के जीवंत दस्तावेज हैं। इस 15 अगस्त, जब आप झंडा फहराने या परेड देखने जाएँ, तो इनमें से कोई एक या अधिक जगहों की यात्रा भी अवश्य जोड़ें—यह आपके स्वतंत्रता दिवस को एक नए आयाम से जोड़ देगा।
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