Up Kiran, Digital Desk: एक जमाना था जब तेलंगाना के सिर्सिल्ला और पोचमपल्ली के पावरलूम (हथकरघा) पर बुने कपड़ों की पूरी दुनिया में धूम थी। यहां के बुनकरों के हाथों में ऐसा जादू था कि वे धागों से ख्वाब बुन देते थे। लेकिन समय के साथ, मशीन से बने सस्ते कपड़ों की चमक में यह पारंपरिक कला धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगी। मांग कम होने से पावरलूम उद्योग मरने की कगार पर पहुंच गया और हजारों बुनकर गरीबी में जीने को मजबूर हो गए।
लेकिन अब, फैशन और टेक्नोलॉजी के इस दौर में, इस खोई हुई कला को एक नई जिंदगी देने की एक शानदार कोशिश की जा रही है।
नई पीढ़ी, नई सोच और नए डिजाइन
फैशन और डिजाइन की दुनिया के एक्सपर्ट्स अब इस पारंपरिक कला को आज के जमाने के ट्रेंड्स के साथ जोड़ने का काम कर रहे हैं। हैदराबाद के NIFT (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी) और टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी से जुड़े बड़े-बड़े संस्थान सिर्सिल्ला के बुनकरों के साथ मिलकर एक नया इतिहास लिखने की तैयारी में हैं।
बदलाव का सबसे बड़ा टूल - CAD: अब तक बुनकर पुराने, परंपरागत डिजाइन ही बनाते आ रहे थे। लेकिन अब उन्हें कंप्यूटर एडेड डिजाइन (CAD) और वीविंग सिमुलेशन सॉफ्टवेयर सिखाए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि अब वे कंप्यूटर पर ही देख सकेंगे कि कपड़ा बुनने के बाद कैसा दिखेगा, उसमें कौन-से रंग अच्छे लगेंगे और कौन-सा पैटर्न मार्केट में सबसे ज्यादा चलेगा। इससे न सिर्फ उनका समय बचेगा, बल्कि वे ग्राहकों की डिमांड के हिसाब से नए और आकर्षक डिजाइन भी बना पाएंगे।
रंगों का नया मेल: इन सॉफ्टवेयर्स की मदद से वे हजारों नए-नए रंग बना सकते हैं और उनके कॉम्बिनेशन को ट्राई कर सकते हैं। यह उन्हें पुरानी स्टाइल से निकालकर फैशन की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद करेगा।
'ग्लोबल मार्केट' पर है नजर
यह पूरी कवायद सिर्फ स्थानीय बाजार के लिए नहीं है। टेक्सटाइल एक्सपर्ट पी. वेंकट राव का मानना है कि सिर्सिल्ला और पोचमपल्ली के कपड़ों में इतनी खासियत है कि सही डिजाइन और मार्केटिंग के साथ वे दुनिया भर के फैशन बाजार में अपनी जगह बना सकते हैं।
इस नई टेक्नोलॉजी और मॉडर्न डिजाइन की ट्रेनिंग से यहां के पावरलूम प्रोडक्ट सिर्फ कपड़े नहीं रह जाएंगे, बल्कि एक 'फैशन स्टेटमेंट' बन जाएंगे। इससे न सिर्फ इस पारंपरिक कला को एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि उन हजारों बुनकरों की जिंदगी में भी खुशहाली का नया सवेरा होगा, जिनकी रोजी-रोटी इसी कला पर टिकी है।
यह एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे हम अपनी जड़ों को भूले बिना, टेक्नोलॉजी का हाथ थामकर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
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