
Up Kiran, Digital Desk: क्या आपको बोर्ड परीक्षाओं का डर लगता है? क्या आपको लगता है कि एक ही बार में सब कुछ याद करके अच्छे नंबर लाना बहुत मुश्किल है? अगर हाँ, तो आपके लिए एक बड़ी खबर है! नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की सिफारिशों के तहत, सीबीएसई (CBSE) 2024-25 शैक्षणिक सत्र से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की तैयारी में है। इसका मकसद छात्रों पर से परीक्षा का बोझ कम करना और उन्हें सीखने के बेहतर मौके देना है।
क्या है ये नया सिस्टम? इस नए सिस्टम में, छात्र एक ही एकेडमिक ईयर में दो बार बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि उन्हें दोनों में से जिस परीक्षा में सबसे अच्छे नंबर मिलेंगे, वही उनके फाइनल नंबर माने जाएंगे। इससे छात्रों को एक दूसरा मौका मिलेगा और उन पर एक ही बार में सब कुछ सही करने का दबाव कम होगा।
छात्रों और स्कूलों के लिए इसके क्या फायदे होंगे?
तनाव कम: सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छात्रों पर परीक्षा का तनाव कम होगा। उन्हें पता होगा कि अगर एक बार गलती हुई तो दूसरा मौका मिलेगा।
बेहतर समझ पर जोर: जब रटने का दबाव कम होगा, तो छात्र चीजों को गहराई से समझेंगे। पढ़ाई का मकसद सिर्फ नंबर लाना नहीं, बल्कि ज्ञान हासिल करना होगा।
लचीलापन (Flexibility): छात्र अपनी तैयारी के हिसाब से चुन सकेंगे कि वे कब कौन सी परीक्षा देना चाहते हैं।
सुधार का मौका: जो छात्र पहली बार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, उन्हें सुधारने का पूरा मौका मिलेगा।
समग्र विकास: जब परीक्षा का बोझ कम होगा, तो छात्र अन्य गतिविधियों, खेलकूद और कौशल सीखने पर भी ध्यान दे पाएंगे, जिससे उनका समग्र विकास होगा।
क्या चुनौतियां आएंगी और स्कूलों को क्या बदलाव करने होंगे?
यह सिस्टम जितना सुनने में अच्छा लगता है, इसे लागू करना उतना आसान भी नहीं होगा। स्कूलों को अपनी पूरी प्लानिंग में बड़े बदलाव करने होंगे:
पाठ्यक्रम का बदलना: पाठ्यक्रम को इसी हिसाब से बदलना होगा कि उसे दो भागों में पढ़ाया जा सके और दोनों परीक्षाओं के लिए तैयार किया जा सके। इसमें कम रटने और ज़्यादा समझने वाली चीज़ों को शामिल करना होगा।
पढ़ाने का तरीका: शिक्षकों को अपने पढ़ाने के तरीके बदलने होंगे। अब उन्हें सिर्फ परीक्षा पास कराने के बजाय, छात्रों की अवधारणाओं (concepts) को स्पष्ट करने और उनकी रचनात्मक सोच (critical thinking) को बढ़ावा देने पर ध्यान देना होगा।
मूल्यांकन (Assessment): सिर्फ दो बोर्ड परीक्षा ही नहीं, बल्कि साल भर के मूल्यांकन को भी ज़्यादा व्यापक और सतत बनाना होगा।
संसाधन और ट्रेनिंग: शिक्षकों को नए सिस्टम के लिए ट्रेनिंग देनी होगी। स्कूलों को अतिरिक्त परीक्षा केंद्रों, टेक्नोलॉजी और अन्य संसाधनों की ज़रूरत पड़ सकती है।
छात्रों और अभिभावकों की तैयारी: छात्रों और अभिभावकों को भी इस नए सिस्टम को समझना होगा और इसके लिए खुद को तैयार करना होगा।
कॉलेज और विश्वविद्यालय: उच्च शिक्षा संस्थानों (कॉलेजों) को भी इस नए नंबरिंग सिस्टम को समझना होगा और अपने एडमिशन प्रक्रियाओं में इसे शामिल करना होगा।
सुविधाओं में अंतर: ग्रामीण और शहरी स्कूलों में सुविधाओं और शिक्षकों की उपलब्धता में अंतर हो सकता है, जिससे सभी छात्रों को समान अवसर देने में चुनौती आ सकती है।
दो परीक्षा सिस्टम भारतीय शिक्षा में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव ला सकता है, लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी अच्छी तरह से लागू किया जाता है और सभी हितधारक (Stakeholders) – छात्र, शिक्षक, अभिभावक और प्रशासन – इसमें कितना सहयोग करते हैं। यह एक छात्र-केंद्रित और कौशल-आधारित शिक्षा प्रणाली की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
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