
अमिताभ बच्चन और अमजद खान पर फिल्माया गया प्रसिद्ध गाना ‘तेरे जैसा यार कहां...’ जिस भावना को दर्शाता है, वह रजनीकांत और उनके दोस्त राज बहादुर की कहानी पर पूरी तरह फिट बैठता है। रजनीकांत आज भले ही भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सुपरस्टार्स में शुमार हों, लेकिन उनके इस सफर की नींव एक ऐसे इंसान ने रखी थी, जिसने न कोई फिल्म बनाई, न कोई अभिनय किया—बल्कि एक बस ड्राइवर था।
रजनीकांत के दोस्त जिसने उन्हें बनाया स्टार
राज बहादुर नाम के इस शख्स ने अपने दोस्त रजनीकांत की प्रतिभा को उस समय पहचाना, जब वह खुद भी एक सामान्य नौकरी कर रहा था। दोनों की मुलाकात 1970 में बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में हुई, जहां रजनीकांत कंडक्टर और राज बहादुर ड्राइवर थे। जल्द ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। रजनीकांत की अभिनय में रुचि देखकर राज बहादुर ने उन्हें प्रेरित किया कि वे अपने सपनों को सच करें।
राज बहादुर ने बढ़ाया कदम, निभाई दोस्ती की असली परिभाषा
रजनीकांत आर्थिक रूप से कमजोर थे, और उन्हें डर था कि अगर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और फिल्म इंडस्ट्री में असफल हुए तो वह क्या करेंगे। इस पर राज बहादुर ने न सिर्फ उन्हें भावनात्मक समर्थन दिया, बल्कि आर्थिक रूप से भी उनकी मदद की। उन्होंने उन्हें चेन्नई के फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला दिलवाया और हर महीने अपनी आधी तनख्वाह भेजते रहे ताकि रजनीकांत पढ़ाई और जीवन यापन कर सकें।
राज बहादुर को उस समय मात्र 400 रुपये वेतन मिलता था, लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तिगत खर्च और इच्छाओं को नजरअंदाज करते हुए रजनीकांत के सपनों को प्राथमिकता दी। यह एक दोस्त नहीं, बल्कि एक सच्चे मार्गदर्शक और सहयोगी की भूमिका थी, जिसने एक आम इंसान को 'थलाइवा' बना दिया।
सफलता के बाद भी रिश्ते में नहीं आई कोई दूरी
आज रजनीकांत भले ही करोड़ों के स्टार हैं, लेकिन उनके लिए राज बहादुर वही दोस्त हैं जिनके कंधे पर सिर रखकर उन्होंने संघर्षों का सामना किया था। रजनीकांत ने कई बार सार्वजनिक रूप से इस बात को स्वीकार किया है कि अगर राज बहादुर न होते, तो शायद वह कभी अभिनेता नहीं बन पाते। उन्होंने कहा है कि वह अपने इस ऋण को कभी नहीं चुका सकते।