img

Up Kiran, Digital Desk: सत्र के पहले दिन से ही विपक्षी दल मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विस्तृत बयान की मांग कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि जब तक प्रधानमंत्री इस संवेदनशील मुद्दे पर संसद में आकर बयान नहीं देते, तब तक वे सदन को सुचारु रूप से चलने नहीं देंगे। वहीं, सरकार का कहना है कि वे इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं, और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस पर जवाब देने के लिए तैयार हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है और उन्होंने विपक्ष से सहयोग करने की अपील की है। हालांकि, विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा हुआ है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सत्र की कार्यवाही और विपक्ष के रुख पर करीब से नजर बनाए हुए हैं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित अन्य विपक्षी नेता लगातार सरकार पर हमलावर हैं। वे मणिपुर में शांति बहाली और प्रभावित लोगों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। संसद परिसर के भीतर और बाहर दोनों जगह राजनीतिक गहमागहमी बनी हुई है, जहां विपक्षी सांसद अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

यह मॉनसून सत्र देश के कई महत्वपूर्ण विधेयकों और नीतिगत निर्णयों पर चर्चा के लिए बेहद अहम है। लेकिन मौजूदा गतिरोध के चलते कई महत्वपूर्ण कार्य अटके हुए हैं। जनता की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बन पाएगी और संसद अपने विधायी कार्यों को पूरा कर पाएगी या नहीं।

दोनों पक्षों के बीच जारी इस सियासी खींचतान के कारण सत्र के बाकी दिनों में भी हंगामे और गतिरोध की आशंका बनी हुई है। देश के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर रचनात्मक बहस और कानून बनाने के बजाय, संसद में गतिरोध लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बन रहा है।

--Advertisement--