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Up Kiran, Digital Desk: जन्माष्टमी का पावन पर्व, भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़े ही उल्लास और श्रद्धा से मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि आशाओं और मनोकामनाओं की पूर्ति का एक ऐसा अवसर है जब भक्त अपने आराध्य से विशेष कृपा की याचना करते हैं। विशेष रूप से, जो दंपति संतान सुख से वंचित हैं, उनके लिए जन्माष्टमी की रात अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस रात को किए गए कुछ विशेष उपाय और मंत्र जाप, भगवन श्री कृष्ण की कृपा से उनकी सूनी गोद भरने में सहायक हो सकते हैं।

संतान गोपाल मंत्र: सुख-समृद्धि और उत्तम संतान का वरदान

शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को समर्पित 'संतान गोपाल मंत्र' को संतान प्राप्ति के लिए सबसे शक्तिशाली और प्रभावी मंत्रों में से एक माना जाता है। यह मंत्र न केवल संतान प्राप्ति में आ रही बाधाओं को दूर करता है, बल्कि होने वाले बच्चे के लिए भी कल्याणकारी होता है।

"ॐ देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।

इस मंत्र का अर्थ है – "हे देवकी के पुत्र, हे गोविंद, हे वासुदेव, हे जग के पालनहार! मैं आपकी शरण में हूँ, मुझे एक प्रिय संतान प्रदान करें। इस मंत्र का नित्य 108 बार तुलसी की माला से जाप करने से दंपतियों को शीघ्र ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।[2]

जन्माष्टमी पर करें ये अचूक उपाय, घर में गूंजेगी किलकारी!

जन्माष्टमी के पावन अवसर पर किए गए कुछ विशेष उपाय आपके जीवन में खुशियों के रंग भर सकते हैं:

व्रत और पूजा: पति-पत्नी दोनों को जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए और मध्यरात्रि में शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से लड्डू गोपाल की पूजा करनी चाहिए।

माखन-मिश्री का भोग: भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री अत्यंत प्रिय है। उन्हें इस प्रसाद का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है

वैजयंती माला और मोरपंख: भगवान कृष्ण को वैजयंती माला और मोरपंख अति प्रिय हैं। इन्हें पूजा में शामिल करने से विशेष लाभ मिलता है।

तुलसी का महत्व: जन्माष्टमी की पूजा में तुलसी का विशेष स्थान है। लड्डू गोपाल को तुलसी दल अर्पित करना न भूलें। शाम को तुलसी के पौधे के पास गाय के घी का दीपक जलाकर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए 11 बार परिक्रमा करने से संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

दान-पुण्य: गरीबों को काली मिर्च और गुड़ दान करने से भी संतान सुख की प्राप्ति में मदद मिलती है।

खीरे का प्रयोग: जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका संबंध भगवान कृष्ण के जन्म से है। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन जड़ वाले खीरे को काटकर श्रीकृष्ण का जन्म कराने और फिर उस खीरे को गर्भवती महिला द्वारा प्रसाद रूप में खाने से गुणवान संतान की प्राप्ति हो सकती है।

क्या है जन्माष्टमी का महत्व?जन्माष्टमी, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और मध्यरात्रि में कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाते हैं। यह त्योहार धर्म, प्रेम और सत्य का संदेश देता है।

यदि आप अपने बच्चे के उज्ज्वल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं, तो जन्माष्टमी पर विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

गुणवान संतान के लिए: “देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।।”

सुंदर और गुणवान संतान के लिए: "सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।।

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