
Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में एक शिक्षक ने एक सराहनीय कदम उठाया है, जिसने कई लोगों का ध्यान खींचा है। पेड्डाकोटला के एक नगर पालिका उच्च विद्यालय में अपनी बेटी का दाखिला कराकर, उन्होंने सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता पर गहरा विश्वास और एक सकारात्मक संदेश दिया है।
वेंकट रेड्डी नामक इस शिक्षक ने अपनी बेटी वैष्णवी को छठी कक्षा में नामांकित किया है। उनका यह निर्णय तब आया है जब सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर और बुनियादी ढांचे को लेकर अक्सर बहस छिड़ी रहती है।
श्री रेड्डी ने बताया कि उन्होंने यह निर्णय सरकारी स्कूलों में हाल के वर्षों में हुए महत्वपूर्ण सुधारों को देखते हुए लिया है। विशेष रूप से, 'नाडु-नेडु' कार्यक्रम के तहत स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार, स्मार्ट कक्षाओं की शुरुआत, डिजिटल शिक्षा के अवसर और आधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना ने उन्हें अत्यधिक प्रभावित किया है। उनका मानना है कि अब सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा निजी स्कूलों से बेहतर नहीं तो कम से कम उनके बराबर जरूर मिल रही है।
वेंकट रेड्डी ने यह भी कहा कि शिक्षकों के बच्चों का निजी स्कूलों में पढ़ने का चलन सही नहीं है। एक शिक्षक के रूप में, वे स्वयं सरकारी शिक्षा प्रणाली में विश्वास दिखाते हुए अन्य शिक्षकों और अभिभावकों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने अन्य शिक्षकों और अभिभावकों से भी सरकारी स्कूलों पर विश्वास दिखाने और अपने बच्चों को इनमें नामांकित करने का आग्रह किया।
इससे पहले, वैष्णवी गोनेगंडला में श्री साई पब्लिक स्कूल जैसे एक निजी स्कूल में पढ़ रही थी। अब, वह पेड्डाकोटला के नगर पालिका उच्च विद्यालय में अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखेगी।
यह पहल न केवल सरकारी शिक्षा प्रणाली में बढ़ते विश्वास को दर्शाती है, बल्कि अन्य माता-पिता के लिए भी एक प्रेरणा का काम करती है। यह दर्शाता है कि सही प्रयासों और निवेश के साथ, सरकारी स्कूल भी बेहतरीन शिक्षा प्रदान कर सकते हैं, जिससे समाज के हर वर्ग को लाभ मिलेगा।
वेंकट रेड्डी का यह कदम सरकारी शिक्षा के प्रति एक मजबूत समर्थन है और यह उम्मीद जगाता है कि अधिक से अधिक अभिभावक सरकारी स्कूलों की ओर रुख करेंगे।
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