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Up Kiran, Digital Desk: भारत में हर साल लाखों छात्र डॉक्टर बनने का सपना लेकर NEET (National Eligibility cum Entrance Test) की परीक्षा देते हैं। यह परीक्षा मेडिकल कोर्सेज, जैसे MBBS (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) और BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) में प्रवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है। NEET UG (Undergraduate) में प्राप्त अंकों के आधार पर ही छात्र देश भर के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग ले पाते हैं।

सीटों की उपलब्धता और महत्वपूर्ण जानकारी:

भारत में मेडिकल सीटों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे अधिक छात्रों को डॉक्टर बनने का अवसर मिल रहा है। हाल के वर्षों में MBBS और BDS की सीटों में वृद्धि देखी गई है, जो मेडिकल क्षेत्र में बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से की जा रही है।

MBBS सीटें: देश भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में MBBS की सीटों की कुल संख्या हजारों में है। यह संख्या सरकारी और निजी कॉलेजों दोनों को मिलाकर है।

BDS सीटें: इसी प्रकार, दंत चिकित्सा (BDS) की सीटें भी उपलब्ध हैं, जो छात्रों को दंत चिकित्सक बनने का अवसर प्रदान करती हैं।

NEET UG काउंसलिंग प्रक्रिया:

NEET UG परीक्षा के बाद, काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होती है, जो सीट आवंटन का एक महत्वपूर्ण चरण है। यह प्रक्रिया दो मुख्य भागों में विभाजित है:

15% अखिल भारतीय कोटे (AIQ) की सीटें:

यह काउंसलिंग प्रक्रिया मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) द्वारा आयोजित की जाती है।

इसमें देश भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की 15% सीटें, सभी AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), JIPMER (जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च), AMU (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय), BHU (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) और दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के संस्थानों की सीटें शामिल होती हैं।

छात्रों को MCC की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है और अपनी पसंद के कॉलेज और कोर्स के लिए विकल्पों का चयन करना होता है।

इसके बाद, वरीयता और रैंक के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है।

85% राज्य कोटे की सीटें:

प्रत्येक राज्य की सरकारें अपने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की शेष 85% सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित करती हैं।

इसके अलावा, निजी मेडिकल कॉलेजों की सभी सीटें और डीम्ड विश्वविद्यालयों की सीटें भी राज्य स्तरीय काउंसलिंग के माध्यम से आवंटित की जाती हैं।

राज्य की काउंसलिंग की प्रक्रिया, तिथियां और नियम संबंधित राज्य के प्रवेश प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित किए जाते हैं।

काउंसलिंग के चरण:

NEET UG काउंसलिंग में आमतौर पर कई राउंड होते हैं:

राउंड 1: पंजीकरण, चॉइस फिलिंग, सीट आवंटन और रिपोर्टिंग।

राउंड 2: पहले राउंड में सीट न मिलने या असंतुष्ट छात्रों के लिए।

मॉप-अप राउंड: रिक्त रह गई सीटों को भरने के लिए।

स्ट्रे वैकेंसी राउंड: अंतिम चरण, जहां बची हुई सीटों को भरा जाता है।

सीट आवंटन और प्रवेश:

काउंसलिंग के दौरान, छात्रों की NEET रैंक, उपलब्ध सीटें, आरक्षण नीति और भरी गई वरीयता के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है। सीट आवंटित होने के बाद, छात्रों को निर्धारित समय सीमा के भीतर आवंटित कॉलेज में जाकर दस्तावेजों का सत्यापन करवाना होता है और प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी होती है।

प्रवेश के लिए पात्रता:

छात्रों को NEET UG परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।

उन्हें न्यूनतम आवश्यक अंक (कट-ऑफ पर्सेंटाइल) प्राप्त करने होंगे।

सभी आवश्यक मूल दस्तावेज (जैसे NEET स्कोर कार्ड, 10वीं/12वीं की मार्कशीट, जन्म प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र यदि लागू हो) तैयार रखने होंगे।

NEET PG काउंसलिंग (संक्षेप में):

MBBS की डिग्री प्राप्त करने के बाद, जो छात्र विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं, वे NEET PG (Postgraduate) परीक्षा देते हैं। NEET PG के अंकों के आधार पर भी इसी तरह की काउंसलिंग प्रक्रिया (MCC द्वारा AIQ के लिए और राज्य सरकारों द्वारा राज्य कोटे के लिए) होती है, जिसके माध्यम से वे विभिन्न मेडिकल विशेषज्ञताओं (MD/MS) और डेंटल विशेषज्ञताओं (MDS) में प्रवेश पाते हैं।

मेडिकल छात्रों के लिए महत्वपूर्ण सलाह:

NEET UG/PG काउंसलिंग की प्रक्रिया को ध्यान से समझें।

MCC और अपने राज्य की काउंसलिंग अथॉरिटी की वेबसाइटों पर नियमित रूप से अपडेट देखें।

आवश्यक दस्तावेजों को पहले से तैयार रखें।

अपनी वरीयता को समझदारी से भरें।

धैर्य रखें, क्योंकि यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी और जटिल हो सकती है।

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