
Up Kiran, Digital Desk: अगर कल यानी 7 मई को अचानक आपके शहर में सायरन की तेज आवाज गूंजने लगे और चारों तरफ थोड़ी हलचल सी मच जाए, तो घबराइएगा मत! यह कोई असली खतरा नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा अभ्यास (मॉक ड्रिल) होगा।
दरअसल, पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव काफी बढ़ गया है और युद्ध जैसे हालात की आशंका बनी हुई है। इसी के चलते, भारत सरकार कल देश भर में एक बहुत बड़ी मॉक ड्रिल करने जा रही है। यह मॉक ड्रिल एक साथ देश के 244 जिलों में होगी। इसका मकसद है आम लोगों को यह बताना और सिखाना कि अगर कभी देश पर कोई हमला होता है, तो कैसे अपनी जान बचानी है और उस स्थिति से कैसे निपटना है। इस मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन भी बजाए जाएंगे।
आइए, जानते हैं कि युद्ध के समय बजने वाले इन हवाई सायरन का इतिहास क्या है और भारत में इन्हें आखिरी बार कब बजाया गया था।
क्या है हवाई सायरन का इतिहास?
हवाई सायरन का इतिहास युद्धों और आपातकालीन चेतावनी देने वाली प्रणालियों से जुड़ा हुआ है। इनका मुख्य काम था लोगों को हवाई हमलों या किसी दूसरी खतरनाक स्थिति के बारे में पहले से आगाह करना।
आविष्कार: सबसे पहले 1799 में स्कॉटिश वैज्ञानिक जॉन रॉबिसन ने सायरन जैसी एक मशीन बनाई थी, हालांकि तब इसे 'सायरन' नाम नहीं दिया गया था।
नामकरण: बाद में, 1819 में फ्रांस के इंजीनियर बैरन चार्ल्स कैग्नार्ड डे ला टूर ने इस मशीन में सुधार किया और इसे 'सायरन' नाम दिया।
भारत में पहली बार कब बजा था हवाई युद्ध सायरन?
भारत में हवाई युद्ध सायरन का पहला इस्तेमाल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद हुआ था। उस समय नागरिकों को हवाई हमलों से बचाने के लिए एयर रेड प्रिकॉशन (APR) सिस्टम शुरू किया गया था। 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले मुंबई में इस सिस्टम के तहत 306 सायरन लगाए गए थे। इनका मकसद था लोगों को संभावित हवाई हमलों से पहले ही सावधान कर देना। (हालांकि, आज इनमें से ज्यादातर सायरन या तो खराब हो चुके हैं या सिर्फ दिखावे के लिए रह गए हैं।)
देश में आखिरी बार कब बजा था हवाई युद्ध सायरन?
आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में आखिरी बार इन सायरन का इस्तेमाल नागरिकों को चेतावनी देने के लिए 1965-71 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों के दौरान किया गया था। यानी, भारत में हवाई युद्ध सायरन आखिरी बार 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय बजा था। उसके बाद से अब, 54 साल बाद, इतने बड़े पैमाने पर यह अभ्यास हो रहा है।
कितनी दूर तक सुनाई देती है सायरन की आवाज?
भारत में हवाई युद्ध सायरन को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को सचेत कर सकें।
रेंज: इन सायरन की आवाज लगभग 3 किलोमीटर तक सुनाई देती थी, जिससे एक बड़ा इलाका कवर हो जाता था।
अवधि: सायरन की आवाज आमतौर पर 2 से 5 मिनट तक बजती थी, ताकि लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने और बचाव के उपाय करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
तो, कल होने वाली यह मॉक ड्रिल न सिर्फ हमारी तैयारियों को परखेगी, बल्कि हमें इतिहास की भी याद दिलाएगी और भविष्य की किसी भी चुनौती के लिए तैयार रहने का संदेश देगी।
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