
Up Kiran, Digital Desk: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य का विस्तृत मूल्यांकन किया गया। इस बैठक में कई अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई, जो देश की आर्थिक दिशा और भविष्य की चुनौतियों को समझने में मदद करते हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था: चिंताएं बरकरार, पर भारत की स्थिति मजबूत
RBI के केंद्रीय बोर्ड ने वैश्विक आर्थिक स्थिति पर गहरी नज़र डाली। उन्होंने पाया कि दुनिया भर की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई (inflation) अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसके कारण, कई देशों के केंद्रीय बैंक सख्त मौद्रिक नीतियों (tight monetary policies) को जारी रखे हुए हैं। इसके अलावा, भू-राजनीतिक जोखिम (geopolitical risks) और वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास में धीमी गति की आशंकाओं पर भी बोर्ड ने चिंता व्यक्त की। यह सब मिलकर वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल बनाए हुए हैं।
घरेलू अर्थव्यवस्था: उम्मीद की किरण, भारत की मजबूती का प्रदर्शन
इन वैश्विक चिंताओं के बीच, RBI के केंद्रीय बोर्ड ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूत पकड़ और लचीलेपन (resilience) की सराहना की।
मज़बूत घरेलू मांग: देश के अंदर उपभोक्ता मांग (consumer demand) काफी मज़बूत बनी हुई है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी शक्ति का स्रोत है।
सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों का प्रदर्शन: सेवा क्षेत्र (services sector) और विनिर्माण क्षेत्र (manufacturing sector) दोनों ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे रोज़गार और उत्पादन में वृद्धि हो रही है।
कृषि क्षेत्र में सुधार: मॉनसून की स्थिति के अनुसार कृषि क्षेत्र का आउटलुक भी सकारात्मक नज़र आ रहा है।
वित्तीय स्थिरता: बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिति भी काफी स्वस्थ बताई गई है। बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी (capital adequacy) है और अनुत्पादित संपत्तियां (NPAs) कम हैं, जिससे वित्तीय व्यवस्था स्थिर बनी हुई है।
RBI का नज़रिया: विकास के साथ महंगाई पर नियंत्रण
RBI ने इस बात को दोहराया कि वे मूल्य स्थिरता (price stability) बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही देश के आर्थिक विकास को भी समर्थन देते रहेंगे। बोर्ड ने विशेष रूप से खाद्य महंगाई (food inflation) पर नज़र रखने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, क्योंकि यह आम जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
कुल मिलाकर, RBI के केंद्रीय बोर्ड का यह मूल्यांकन दर्शाता है कि जहाँ वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियाँ हैं, वहीं भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था इन मुश्किलों का सामना करने के लिए मज़बूत स्थिति में है।
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