
doon medical college: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित दून मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की भर्ती के लिए हुए इंटरव्यू ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर कर दिया है। बीते कल को आयोजित इस भर्ती प्रक्रिया में सौ से ज्यादा पदों के लिए महज छह डॉक्टर ही इंटरव्यू देने पहुंचे। कम वेतन और बुनियादी सुविधाओं की कमी को इस उदासीनता का प्रमुख कारण माना जा रहा है। हाल ही में सुपर स्पेशलिटी विभागों में वेतन वृद्धि के बाद कुछ राहत की उम्मीद जगी है।
दून मेडिकल कॉलेज में इस बार अलग अलग विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती के लिए इंटरव्यू आयोजित किए गए थे। इनमें स्पेशलिस्ट के आठ प्रोफेसर, 36 एसोसिएट प्रोफेसर, 47 सहायक प्रोफेसर, सुपर स्पेशलिटी के तीन प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर और दो सहायक प्रोफेसर, साथ ही बर्न यूनिट के लिए तीन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद शामिल थे। मगर हैरानी की बात ये रही कि इतने बड़े पैमाने पर रिक्तियों के बावजूद इंटरव्यू में केवल छह उम्मीदवार ही उपस्थित हुए।
मेडिकल सुपरिटेंडेंट (एमएस) डॉक्टर आरएस बिष्ट ने बताया कि इंटरव्यू में कार्डियोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, एनाटॉमी, माइक्रोबायोलॉजी और पैथोलॉजी विभागों के लिए एक-एक डॉक्टर ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इन छह डॉक्टरों का रिजल्ट जल्द ही जारी कर दिया जाएगा और ये शीघ्र ही अपनी सेवाएं शुरू कर देंगे। मगर सवाल यह है कि बाकी 94 पदों का क्या होगा?
एक स्थानीय चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में न केवल बेहतर वेतन मिलता है और काम करने का माहौल भी आधुनिक होता है। ऐसे में सरकारी नौकरी कौन चुनना चाहेगा?