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Up Kiran , Digital Desk: उत्तराखंड सरकार की भ्रष्टाचार के विरुद्ध जारी मुहिम इन दिनों राज्य की सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में शुरू की गई यह सख्त कार्यवाही न सिर्फ सरकारी व्यवस्था में सुधार ला रही है बल्कि जनता के भीतर भी भरोसे की एक नई लहर जगा रही है।
कार्रवाई की रफ्तार तेज
पिछले एक सप्ताह के भीतर उत्तराखंड विजिलेंस विभाग ने पांच भ्रष्टाचारियों को अरेस्ट किया है। इन आरोपियों में एक मुख्य कोषाधिकारी से लेकर राजस्व विभाग के नाजिर तक शामिल हैं। ये अरेस्टियां इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि सरकार अब भ्रष्टाचार के विरुद्ध केवल बयानबाज़ी नहीं बल्कि ठोस कार्रवाई के रास्ते पर है।
#DhamiCleanUpCorruption: जनता की आवाज़ बन रहा एक हैशटैग
बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर #DhamiCleanUpCorruption ट्रेंड करता नजर आया। हजारों यूजर्स ने इस मुहिम के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलंद की। एक यूजर ने लिखा "राज्य अब उस बदलाव की ओर बढ़ रहा है जिसका सपना हमने वर्षों से देखा था।"
लोगों की प्रतिक्रियाओं में एक साझा भावना देखने को मिली—पारदर्शी शासन की ओर बढ़ता उत्तराखंड। इस मुहिम को न सिर्फ युवाओं और जागरूक नागरिकों का समर्थन मिल रहा है बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बनता जा रहा है।
तीन वर्षों में 150 से अधिक भ्रष्टाचारियों की अरेस्टी
मुख्यमंत्री धामी की "ज़ीरो टॉलरेंस" नीति का परिणाम साफ तौर पर नज़र आने लगा है। पिछले तीन वर्षों में 150 से अधिक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भेजा जा चुका है।
इसके अलावा भर्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाए गए सख्त नकल विरोधी कानून ने भी सरकार की नीयत और नीतियों को और अधिक मजबूत आधार दिया है।
वित्तीय अनुशासन और पारदर्शी प्रशासन ने दिलाया देश में दूसरा स्थान
धामी सरकार की पारदर्शी और विकासोन्मुख नीतियों का असर केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं बल्कि राज्य की वित्तीय स्थिति पर भी दिखने लगा है। देश की एक प्रतिष्ठित बिजनेस समाचार वेबसाइट की ताजा रैंकिंग के मुताबिक वित्तीय स्थिति के मामले में उत्तराखंड ने छोटे राज्यों की सूची में गोवा के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
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