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जब सपनों की चिंगारी अंदर से उठती है, तो इंसान किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने अपने सुरक्षित जीवन, घर का आराम और स्थायित्व छोड़कर सिर्फ अपने जुनून का पीछा किया। इन सितारों ने अपनी मेहनत, संघर्ष और काबिलियत से खुद को साबित किया और आज उनकी कहानियां लाखों युवाओं को प्रेरित करती हैं।
यहां हम बात कर रहे हैं पांच ऐसे अभिनेताओं की, जिन्होंने छोटे शहरों से निकलकर बड़े सपनों को हकीकत में बदला, और कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड तक में अपनी पहचान बनाई।
1. इरफान खान – टोंक, राजस्थान से हॉलीवुड तक
7 जनवरी 1967 को राजस्थान के टोंक शहर में जन्मे इरफान खान अभिनय की दुनिया में अपने संवेदनशील और प्रभावशाली अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय की शिक्षा ली और फिर मुंबई की ओर रुख किया। शुरुआती दिनों में कई छोटे रोल किए, लेकिन अपनी दृढ़ता के दम पर उन्होंने ऐसी पहचान बनाई जो हमेशा याद रखी जाएगी।
इरफान खान की खासियत उनकी गहराई भरी अदाकारी थी। ‘पान सिंह तोमर’, ‘मकबूल’, ‘द लंचबॉक्स’ जैसी फिल्मों के अलावा उन्होंने ‘लाइफ ऑफ पाई’, ‘द अमेजिंग स्पाइडर मैन’ और ‘जुरासिक वर्ल्ड’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया। 29 अप्रैल 2020 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा अमिट रहेगा।
2. अली फजल – लखनऊ से इंटरनेशनल स्क्रीन तक
अली फजल का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें अभिनय का शौक चढ़ा और उन्होंने धीरे-धीरे फिल्मों की ओर रुख किया। 2009 में ‘थ्री इडियट्स’ से अपने करियर की शुरुआत की और इसके बाद कई चर्चित फिल्मों में नजर आए।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही हॉलीवुड फिल्म ‘फ्यूरियस 7’ का हिस्सा बनना। इसके अलावा वे ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’ में भी नजर आए, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश रानी विक्टोरिया के सेवक की भूमिका निभाई। अली फजल की कहानी बताती है कि कैसे छोटे शहरों से निकला एक कलाकार अपनी मेहनत से वैश्विक मंच तक पहुंच सकता है।
3. नवाजुद्दीन सिद्दीकी – मुजफ्फरनगर से मुम्बई की स्क्रीन तक
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही थिएटर से जुड़ाव महसूस किया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से शिक्षा लेने के बाद उन्होंने लंबे संघर्ष के बाद मुंबई में कदम जमाए।
शुरुआत में छोटे-छोटे रोल मिलने के बाद ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘मंटो’, ‘कहानी’, ‘लंचबॉक्स’ जैसी फिल्मों से उन्हें पहचान मिली। उनके अभिनय की विविधता ने उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचाया और आज वे देश के सबसे सम्मानित कलाकारों में से एक हैं।
4. मनोज बाजपेयी – बिहार के बेलवा गांव से सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान तक
मनोज बाजपेयी का जन्म बिहार के छोटे से गांव बेलवा में हुआ था। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े मनोज ने शुरू से ही सिनेमा में काम करने का सपना देखा और दिल्ली आकर थिएटर करना शुरू किया। वहां से उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेने की कोशिश की लेकिन कई बार रिजेक्ट हुए। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और मुंबई का रुख किया।
‘सत्या’ फिल्म से उन्हें जबरदस्त पहचान मिली और उसके बाद ‘शूल’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘अलीगढ़’, ‘द फैमिली मैन’ जैसी फिल्मों और सीरीज में बेहतरीन अभिनय किया। उन्हें पद्मश्री और चार नेशनल अवॉर्ड मिल चुके हैं। आज भी वे अपने गांव और अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं।
5. जयदीप अहलावत – हरियाणा से उठकर स्टारडम तक
हरियाणा के रोहतक जिले से ताल्लुक रखने वाले जयदीप अहलावत ने शुरू में सेना में भर्ती होने की तैयारी की, लेकिन किस्मत उन्हें अभिनय की दुनिया में ले आई। उन्होंने एफटीआईआई से एक्टिंग की पढ़ाई की और मुंबई में संघर्ष शुरू किया।
उनकी प्रतिभा को ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ ने पहला बड़ा मंच दिया। इसके बाद ‘राज़ी’, ‘कमांडो’, ‘पाताल लोक’ जैसी फिल्मों और सीरीज में उनके किरदारों को दर्शकों ने खूब सराहा। आज जयदीप अहलावत इंडस्ट्री में एक अलग पहचान बना चुके हैं।
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