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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल अभी बजा भी नहीं है, लेकिन विपक्षी एकता के सबसे बड़े प्रतीक 'महागठबंधन' के घर में अभी से महाभारत छिड़ गई है. जो दल कल तक साथ मिलकर बीजेपी को हराने की कसमें खा रहे थे, आज वही दल सीटों के बंटवारे को लेकर आपस में भिड़ गए हैं. सूत्रों की मानें तो गठबंधन के अंदर मामला इतना बिगड़ चुका कम से कम आठ सीटों पर सहयोगी दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया ਹੈ, जिससे यह 'महागठबंधन' अब 'महाझगठबंधन' में बदलता दिख रहा .

इस लड़ाई ने लालू यादव और तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ा दी है, क्योंकि अगर यह आपसी कलह नहीं सुलझी तो इसका सीधा फायदा चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है.

किन 8 सीटों पर मचा है असली बवाल?

यह लड़ाई मुख्य रूप से RJD, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों (CPI-ML, CPI) के बीच है. हर कोई अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहता है और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं . जिन सीटों पर सबसे ज्यादा पेंच फंसा ਹੈ, वे हैं:

आरा (Arrah): यह सीट CPI(ML) का गढ़ मानी जाती है, लेकिन RJD भी यहां से अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है.

सिवान (Siwan): RJD किसी भी कीमत पर यह सीट नहीं छोड़ना चाहती, लेकिन CPI(ML) यहां से चुनाव लड़ने पर अड़ी है.

काराकाट (Karakat): RJD यहां से अपना उम्मीदवार देना चाहती , पर CPI(ML) का दावा है कि यह सीट उसे मिलनी चाहिए.

बेगूसराय (Begusarai): यह सीट पारंपरिक रूप से लेफ्ट पार्टियों की रही है, लेकिन कांग्रेस इस पर अपनी मजबूत दावेदारी जता रही है.

कटिहार (Katihar): कांग्रेस यह सीट चाहती,पर RJD इसे अपने खाते में रखने पर अड़ी है.

औरंगाबाद (Aurangabad): RJD और कांग्रेस, दोनों ही इस सीट पर अपना-अपना दावा ठोक रही हैं.

सुपौल (Supaul): यहां भी RJD और कांग्रेस के बीच सीधा टकराव है.

सासाराम (Sasaram): कांग्रेस अपनी इस पारंपरिक सीट को छोड़ने के मूड में नहीं है, जबकि RJD यहां से भी लड़ना चाहती 

RJD का बड़ा भाई वाला रवैया: RJD बिहार में खुद को सबसे बड़ा दल मानती है और चाहती है कि सीटों के बंटवारे में उसकी ही चले.

कांग्रेस का बढ़ता आत्मविश्वास: लोकसभा चुनाव में ठीक-ठाक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस अब RJD के सामने झुकने को तैयार नहीं और अपने लिए सम्मानजनक सीटें चाहती

लेफ्ट पार्टियों की बढ़ी ताकत: पिछले कुछ सालों में CPI(ML) जैसी पार्टियों ने जमीन पर अपनी पकड़ मजबूत की ਹੈ और अब वे सिर्फ RJD के रहमोकरम पर नहीं रहना चाहतीं.

महागठबंधन के नेता भले ही ऊपर से "ऑल इज वेल" का दावा कर रहे हों, लेकिन अंदरखाने में चल रही यह खींचतान कभी भी खुलकर सामने आ सकती ਹੈ. अगर समय रहते तेजस्वी यादव इस झगड़े को नहीं सुलझा पाए, तो उनका 'सीएम' बनने का सपना शुरू होने से पहले ही टूट सकता है.