
Up Kiran, Digital Desk: भारत में ऑफिस स्पेस की मांग और आपूर्ति का भविष्य अब 'माइक्रो-मार्केट' के हाथों में होगा। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, आगामी कुछ वर्षों में देश में होने वाली कुल ऑफिस स्पेस गतिविधियों (मांग और आपूर्ति) का 80% हिस्सा इन्हीं उच्च-सक्रिय माइक्रो-मार्केट से आएगा। यह खुलासा प्रमुख रियल एस्टेट सलाहकार फर्म कॉलिअर्स की एक ताजा रिपोर्ट में हुआ है।
माइक्रो-मार्केट बड़े शहरों के भीतर ऐसे विशिष्ट और सुनियोजित क्षेत्र होते हैं, जो मजबूत बुनियादी ढांचे, उत्कृष्ट कनेक्टिविटी, गुणवत्तापूर्ण कार्यालय स्थान, सामाजिक सुविधाओं और बड़े टैलेंट पूल से संपन्न होते हैं। ये क्षेत्र अब भारत में ऑफिस स्पेस की गतिशीलता के प्रमुख चालक बन गए हैं।
ये माइक्रो-मार्केट न केवल आकर्षक किराए और उच्च गुणवत्ता वाले कार्यालय स्थान प्रदान करते हैं, बल्कि कंपनियों को आवश्यक सुविधाएं और कुशल प्रतिभा तक पहुंच भी देते हैं। यही कारण है कि ये क्षेत्र विशेष रूप से टेक्नोलॉजी, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCCs) और बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा (BFSI) जैसे क्षेत्रों की कंपनियों की पहली पसंद बन रहे हैं।
इन क्षेत्रों में मजबूत मांग के कारण किराए में वृद्धि देखी जा रही है और नए ऑफिस स्पेस की आपूर्ति भी लगातार बढ़ रही है। कंपनियां अब पारंपरिक केंद्रीय व्यापार जिलों (CBDs) से हटकर इन एकीकृत, आधुनिक और सुविधा-संपन्न माइक्रो-मार्केट की ओर रुख कर रही हैं।
प्रमुख माइक्रो-मार्केट जो इस प्रवृत्ति का नेतृत्व करेंगे:
बेंगलुरु: आउटर रिंग रोड (ORR), पेरिफेरल ईस्ट (PE), व्हाइटफ़ील्ड
दिल्ली-NCR: साइबर सिटी, गोल्फ कोर्स रोड, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड, नोएडा एक्सप्रेसवे
मुंबई: बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC), पवई, ठाणे, नवी मुंबई
हैदराबाद: हाईटेक सिटी, गाचीबोवली, नानकरामगुडा
पुणे: खराडी, हिंजेवाड़ी
चेन्नई: ओएमआर (Old Mahabalipuram Road), पेरुनगुड़ी, गिंडी
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