Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पेंशन को लेकर सख्त कदम उठाने का मन बना लिया है। शीतकालीन सत्र में सरकार विधानमंडल के सामने “उत्तर प्रदेश पेंशन की हकदारी तथा विधिमान्यकरण अध्यादेश-2025” को बिल के रूप में पेश करने जा रही है। दोनों सदनों से पास होते ही यह स्थायी कानून बन जाएगा।
दरअसल अगस्त महीने में ही कैबिनेट ने इस अध्यादेश को हरी झंडी दे दी थी। सितंबर में इसके कार्यकारी आदेश भी जारी हो चुके हैं। सरकार का साफ कहना है कि अब पेंशन सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगी जिनकी नियुक्ति पूरी तरह नियमावली के मुताबिक किसी स्थायी पद पर हुई हो।
यानी अब दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी और संविदा पर रखे गए लोग भले ही सीपीएफ या ईपीएफ कटौती कराते रहे हों पेंशन का सपना नहीं देख सकेंगे। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह नियम एक अप्रैल 1961 से ही लागू माना जाएगा।
सरकारी सूत्र बताते हैं कि कई कर्मचारी बिना सही भर्ती प्रक्रिया पूरी किए नौकरी करते रहे और रिटायरमेंट के बाद पेंशन मांगने अदालत पहुंच गए। ऐसे सैकड़ों मामले अभी कोर्ट में लंबित हैं। अब इस नए कानून से सरकार उन सभी दावों पर पूरी तरह विराम लगाना चाहती है।
दूसरी बड़ी खबर: तीन कंपनियों के खाते में आएंगे करोड़ों रुपये!
इसी कैबिनेट बैठक में योगी सरकार ने निवेशकों को लुभाने का एक और बड़ा ऐलान किया। मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में तीन निजी कंपनियों को मोटी प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया गया।
सबसे ज्यादा रकम यानी 17 करोड़ 6 लाख 26 हजार 256 रुपये बृंदावन एग्रो इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को मिलेंगे। कंपनी अपनी इकाई का विस्तार कर रही है। वहीं मेरठ की मेसर्स पसवारा पेपर्स लिमिटेड को एक करोड़ पचास लाख पंद्रह हजार सात सौ ग्यारह रुपये दिए जाएंगे। शाहजहांपुर की मेसर्स केआर पल्प एंड पेपर्स लिमिटेड को छप्पन लाख उनतालीस हजार सात सौ पचासी रुपये की सब्सिडी मिलेगी।
ये सारी राशि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर दी जा रही है। योगी सरकार का दावा है कि ऐसे कदमों से प्रदेश में निवेश का माहौल और मजबूत होगा।
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