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Up Kiran , Digital Desk: भारत के पुराने और श्रेष्ठ विद्वानों में गिने जाने वाले आचार्य चाणक्य को एक कुशल राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और सामाजिक चिंतक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से जीवन प्रबंधन और रिश्तों को लेकर कई अहम बातें कही थीं। उनकी नीतियों में पति-पत्नी के संबंधों को लेकर भी स्पष्ट मार्गदर्शन मिलता है।

चाणक्य के मुताबिक कुछ विशेष आदतें अगर किसी पत्नी में पाई जाएं, तो वह पति के जीवन को दुखों से भर सकती हैं। आइए जानते हैं, वे कौन-सी तीन आदतें हैं जिन्हें चाणक्य ने सबसे अधिक विनाशकारी बताया है।

पहली आदत

चाणक्य का मानना था कि अगर पत्नी का स्वभाव निरंतर विवाद करने वाला हो, तो पति का जीवन मानसिक तनाव से भर जाता है। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करना, बात को तूल देना और दूसरों के सामने अपमान करना। ऐसे वातावरण में पुरुष का आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता है, जिससे वो निराशा और अवसाद का शिकार हो सकता है। कई बार यह स्थिति घरेलू कलह तक पहुंच जाती है।

दूसरी आदत

शक एक ऐसा ज़हर है जो धीरे-धीरे किसी भी रिश्ते को खत्म कर देता है। चाणक्य के अनुसार यदि पत्नी हर बात में संदेह करती है, तो पति का जीवन दुखों से भर जाता है। बार-बार फोन चेक करना, हर बात पर पूछताछ और बाहरी संबंधों पर बेवजह आरोप लगाना।  ये आदत न केवल मानसिक पीड़ा देती है, बल्कि रिश्ते की नींव को भी कमजोर कर देती है।

तीसरा आदत

आचार्य चाणक्य ने आर्थिक संतुलन को वैवाहिक जीवन का आधार बताया है। अगर पत्नी आवश्यकता से अधिक खर्च करती है और बजट का ध्यान नहीं रखती, तो इससे पति पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। इस तरह का व्यवहार परिवार को कर्ज और तनाव की ओर ले जा सकता है। तरक्की की राह रुक जाती है और पति अपने सपनों को भी पूरा नहीं कर पाता।

बता दें कि चाणक्य ने अपने समय में जो बातें कही थीं, वे आज के संदर्भ में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। यह जरूरी नहीं कि हर महिला में ये आदतें पाई जाएं, मगर अगर किसी रिश्ते में इनमें से कोई समस्या है, तो उसे संवाद, समझ और सहयोग से सुलझाया जाना चाहिए।
 

 

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