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Up Kiran, Digital Desk: किसी भी फिल्मी दुनिया में वह सितारे, जिनकी फिल्मों का जादू हफ्तों, महीनों तक चलता है, वे सिनेमा जगत के अनमोल रत्न माने जाते हैं। बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना से लेकर मलयालम फिल्मों के सितारे मोहनलाल तक, इन कलाकारों के नाम थिएटर में फिल्में लगातार चलने के कारण हर तरफ मशहूर हुए हैं। लेकिन इन सभी के बीच एक सितारा ऐसा भी है, जिसे भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अनोखा रिकॉर्ड हासिल है, और वह है मराठी सिनेमा के ‘असली सुपरस्टार’ दादा कोंडके।

दादा कोंडके: एक साधारण परिवार से सुपरस्टार बनने तक की यात्रा

दादा कोंडके का जन्म 8 अगस्त, 1932 को मुंबई के लालबाग इलाके में एक साधारण कोंकण परिवार में हुआ था। उनका असली नाम कृष्णा कोंडके था। एक चॉल में पला-बढ़ा यह लड़का, जिसकी जिंदगी आर्थिक तंगी से जूझ रही थी, फिल्मों की दुनिया में छा गया। दादा कोंडके की जिंदगी में संघर्ष ने उसे एक बेहतरीन कलाकार बना दिया। उनकी मिमिक्री, हंसी-मजाक, और डबल मीनिंग डायलॉग्स ने उन्हें एक ऐसा स्थान दिलवाया, जो आज तक कोई नहीं छीन पाया।

सिनेमा की दुनिया में पहला कदम

दादा कोंडके का फिल्मी सफर 1969 में बhalजी पेंढारकर की फिल्म 'तंबड़ी माती' से शुरू हुआ था, लेकिन उनकी असली पहचान 1971 में फिल्म 'सोंगाड्या' से बनी। इस फिल्म में उनका ‘नम्या’ किरदार लोगों के दिलों में बस गया। उनकी बेहतरीन अभिनय और कॉमिक टाइमिंग ने उन्हें मराठी सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म के बाद वह फिल्म इंडस्ट्री में एक चमकते सितारे बन गए।

गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज नाम

किसी भी अभिनेता के लिए यह एक बड़ा सम्मान होता है कि उसकी फिल्में इतनी पसंद की जाती हैं कि वे लगातार थिएटर में 25 हफ्तों तक चलती हैं। दादा कोंडके के बारे में यह बात खास थी कि उनकी 9 फिल्मों ने यह कमाल किया था, और यही कारण था कि उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ। वह सचमुच सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुए। उनके काम को न केवल मराठी दर्शकों ने सराहा, बल्कि हिंदी और गुजराती फिल्मों में भी उनकी छाप छोड़ी।

 

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