Up Kiran, Digital Desk: कल्पना कीजिए, आप अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ बिना किसी थकान और परेशानी के अयोध्या में रामलला के दर्शन कर रहे हैं, या कुछ ही घंटों में कटरा पहुंचकर माता वैष्णो देवी के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं. जो सपना कल तक मुश्किल लगता था, अब वह हकीकत बन रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक साथ कई नई वंदे भारत ट्रेनों का तोहफा दिया है, जो सिर्फ शहर नहीं, बल्कि हमारी आस्था के सबसे बड़े केंद्रों को एक-दूसरे से जोड़ रही हैं.
पीएम मोदी ने इन ट्रेनों को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि सरकार की कोशिश है कि हमारे विरासत शहर, जो हमारी संस्कृति की पहचान हैं, वे ही देश की प्रगति का प्रतीक भी बनें.
आस्था और आधुनिकता का संगम
यह सिर्फ कुछ नई ट्रेनें चलाना नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ी सोच है. सरकार देश में "आध्यात्मिक पर्यटन" को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहती है.
कौन से बड़े तीर्थ जुड़े?: इन नई ट्रेनों के जरिए अब अयोध्या, अमृतसर, कटरा (वैष्णो देवी), द्वारका और मदुरै जैसे पवित्र स्थानों तक पहुंचना बहुत आसान और तेज हो गया है.
अब सफर नहीं, साधना होगी: पहले इन जगहों की यात्रा में काफी समय और थकान होती थी. लेकिन अब वंदे भारत जैसी आधुनिक और आरामदायक ट्रेनों से यह सफर भी साधना का एक सुखद हिस्सा बन जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हमारी सरकार अयोध्या, काशी, उज्जैन, केदारनाथ जैसे पवित्र धामों का विकास भी कर रही है और साथ ही, वहां तक पहुंचने के लिए आधुनिक वंदे भारत जैसी ट्रेनें भी चला रही है. यही तो है विकसित भारत का विजन."
सिर्फ तीर्थ यात्रा नहीं, अर्थव्यवस्था को भी मिलेगी रफ्तार
पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जब किसी तीर्थ स्थान पर सुविधाएं बढ़ती हैं, तो उसका फायदा सिर्फ यात्रियों को ही नहीं होता, बल्कि वहां के स्थानीय लोगों की जिंदगी भी बदल जाती है.
युवाओं को रोजगार: जब बाहर से लोग आएंगे, तो होटल, टैक्सी, गाइड और छोटे-छोटे दुकानदारों, सबका काम बढ़ेगा. इससे वहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके पैदा होंगे.
स्थानीय अर्थव्यवस्था होगी मजबूत: एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद वहां जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिली है.
वंदे भारत ट्रेनें सिर्फ स्पीड और सुविधा का प्रतीक नहीं हैं. ये 'मेक इन इंडिया' की ताकत का भी प्रतीक हैं. यह दिखाता है कि आज का भारत अपनी विरासत पर गर्व भी करता है और अपने भविष्य के लिए आधुनिक तकनीक को भी अपना रहा है. यह ट्रेनें आस्था के हाईवे की तरह हैं, जो देश के कोने-कोने को हमारी संस्कृति की जड़ों से जोड़ रही हैं.
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