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रूस और यूक्रेन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और इस बीच अमेरिका ने रूस पर अपने प्रतिबंध और कड़े कर दिए हैं. व्हाइट हाउस ने साफ तौर पर कहा है कि रूस के खिलाफ जो नए प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे "बहुत भारी" (pretty hefty) हैं और इनका असर रूस पर निश्चित रूप से पड़ेगा. यह बयान तब आया जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपने आक्रामक रुख को और तेज कर दिया.

क्यों लगाए गए हैं ये कड़े प्रतिबंध?

अमेरिका और उसके सहयोगी देश लगातार रूस पर यह दबाव बना रहे हैं कि वह यूक्रेन में अपनी सैन्य गतिविधियों को रोके. लेकिन रूस पीछे हटने को तैयार नहीं है. इसी के जवाब में अमेरिका ने यह कदम उठाया है. व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रवक्ता, जॉन किर्बी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमने जो प्रतिबंध लगाए हैं, वे बहुत प्रभावी हैं और उनका असर हो रहा है." उन्होंने यह भी कहा कि अगर रूस अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो भविष्य में और भी कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

क्या है इन प्रतिबंधों का मकसद?

इन प्रतिबंधों का मुख्य उद्देश्य रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है, ताकि वह अपनी सैन्य मशीनरी को और मजबूत न कर सके. अमेरिका खास तौर पर रूस के रक्षा उद्योग को निशाना बना रहा है. जॉन किर्बी ने बताया कि इन प्रतिबंधों का असर यह हुआ है कि रूस को अब ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों से हथियार खरीदने पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य रूस के लिए युद्ध जारी रखना और मुश्किल बनाना है."

क्या इन प्रतिबंधों से रुकेगा युद्ध?

हालांकि, कई एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि सिर्फ प्रतिबंधों से रूस को रोक पाना मुश्किल है. उनका कहना है कि रूस ने इन प्रतिबंधों का सामना करने के लिए पहले से ही तैयारी कर रखी है. लेकिन अमेरिकी सरकार को पूरी उम्मीद है कि इन आर्थिक दबावों का असर लंबे समय में जरूर दिखेगा और यह रूस को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर करेगा.

अब देखना यह होगा कि अमेरिका के इन "भारी" प्रतिबंधों का रूस पर कितना असर होता है और क्या यह कदम यूक्रेन में शांति लाने में मददगार साबित होगा.