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gdp growth: भारत की अर्थव्यवस्था ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.4% की विकास दर दर्ज की, जो पिछले दो वर्षों में सबसे धीमी है। इस सुस्ती के पीछे मुख्य कारण कमजोर मांग, महंगाई और वैश्विक अनिश्चितता हैं, जिससे पीएम नरेंद्र मोदी के आर्थिक लक्ष्यों पर सवाल उठ रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे कंपनियों और आम लोगों को राहत नहीं मिली।

हाल के आंकड़ों के मुताबिक, शहरी मध्यवर्गीय उपभोग में कमी आई है, जिससे बड़ी कंपनियों की कमाई प्रभावित हुई है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट आई है, जबकि सेवा क्षेत्र में वृद्धि कम रही। निजी उपभोग व्यय भी घटकर 6% रह गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक चुनौतियों और घरेलू आर्थिक स्थिति के कारण आगे की राह मुश्किल होगी। हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में कृषि उत्पादन और सरकारी खर्च में वृद्धि से थोड़ी सुधार की उम्मीद है। HDFC बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी भविष्य में विकास दर में सुधार का अनुमान लगाया है, मगर वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण स्थिति स्पष्ट नहीं है।

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