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हिंदुस्तान में सभी सार्वजनिक संपत्तियाँ सरकार द्वारा नियंत्रित होती हैं। चाहे कोई जगह हो या कोई मंदिर.. यहां हिंदुस्तानी संविधान के मुताबिक नियम बनाए जाते हैं। मगर क्या आप जानते हैं? हिंदुस्तान के वाराणसी में एक ऐसा मंदिर है जिसका स्वामित्व नेपाल सरकार के पास है। आईये जानते हैं-

ये एक नेपाली मंदिर है जो यूपी के वाराणसी में ललिता घाट पर स्थित है। वाराणसी में आप एक से बढ़कर एक खूबसूरत मंदिर देख सकते हैं। आपने गंगा नदी के किनारे कई भक्तों को भगवान की याद में लीन देखा होगा। मगर मंदिरों की इसी कतार में एक मंदिर ऐसा भी है जो हिंदुस्तान सरकार के नियंत्रण में नहीं है। हालांकि यह मंदिर हिंदुस्तानी भूमि पर मौजूद है, मगर यह नेपाल सरकार की संपत्ति है।

शिवनगरी काशी के ललिता घाट पर एक नेपाली मंदिर है। पशुपति नाथ का ये मंदिर नेपाली लोगों के लिए बहुत खास है। इस मंदिर को देखने के बाद आपको नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की याद आ जाएगी। वाराणसी का ये नेपाली मंदिर बिल्कुल नेपाल के मंदिर की नकल है।

हमारे देश में बना यह पशुपतिनाथ मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। इस खूबसूरत मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी हिंदुस्तान सरकार की नहीं है. मंदिर की सुरक्षा हो या रखरखाव, सब कुछ नेपाल सरकार के अधीन है। अब आप सोच रहे होंगे कि हिंदुस्तान में रहते हुए भी हिंदुस्तान सरकार के पास कोई अधिकार क्यों नहीं है, मगर इसके पीछे एक कहानी है जो सैकड़ों साल पुरानी है।

इस प्रार्थना स्थल का निर्माण नेपाल के राजा राणा बहादुर साहा ने करवाया था। कहा जाता है कि ये राजा 1800 से 1804 तक काशी में रहे थे। तब राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराने का निर्णय लिया। मंदिर का निर्माण शुरू हुआ मगर 1806 में राजा की अचानक मृत्यु हो गई। इसलिए मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया।

उसके बाद राजा के पुत्र राजेंद्र वीर ने इस मंदिर का निर्माण फिर से शुरू कराया। अपने पिता की तरह, राजेंद्र वीर मंदिर के लिए आवश्यक सभी सामग्री नेपाल से लाए। इस मंदिर की मूर्तिकला, वास्तुकला नेपाल के मंदिरों के समान है। 40 वर्ष की निश्चित अवधि के बाद मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। इस मंदिर को नेपाल के राजा ने बनवाया था, इसलिए आज भी इसके रखरखाव की जिम्मेदारी नेपाल सरकार लेती है।

 

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