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Up Kiran, Digital Desk: चीन ने अपने अत्याधुनिक विमानवाहक पोत फुजियान को नौसेना में शामिल कर लिया है, जो महज एक नौसैनिक उपलब्धि नहीं बल्कि चीन के वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है। फुजियान का निर्माण पूरी तरह से चीन में हुआ है और यह सबसे उन्नत युद्धपोत है, जिसमें अमेरिकी नौसेना के समान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट सिस्टम है, जिससे विमान बेहद तेजी से उड़ान भर सकते हैं।

यह तीसरा विमानवाहक पोत है जो चीन के पास है, और इसके आगमन से चीन की सैन्य ताकत में काफी वृद्धि हुई है। फुजियान की तैनाती से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों, जैसे जापान, दक्षिण कोरिया और वियतनाम के लिए चिंता बढ़ गई है। यह कदम दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य जैसे क्षेत्रों में चीन की उपस्थिति को और मजबूत करेगा, और अमेरिकी नौसैनिक श्रेष्ठता को चुनौती देगा।

भारत के लिए भी यह एक रणनीतिक चुनौती है, खासकर यदि फुजियान हिंद महासागर में सक्रिय होता है। चीन की "स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स" नीति और तीन विमानवाहक पोतों के साथ उसकी बढ़ती नौसैनिक शक्ति भारत के लिए खतरे का संकेत है, खासकर जब भारत का तीसरा विमानवाहक पोत अभी भी मंजूरी का इंतजार कर रहा है।

समग्र रूप से, फुजियान का शामिल होना भविष्य में वैश्विक सैन्य शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, और यह संकेत है कि चीन अब अपनी सैन्य शक्ति को पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए तैयार है।