Up kiran,Digital Desk : भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह शायद सबसे अजीब और दुखद दौर है। जो टीम इंडिया अपनी धरती पर शेर मानी जाती थी, वो अब अपने ही घर में 'भीगी बिल्ली' नजर आ रही है। न्यूजीलैंड ने 3-0 से हराया और अब साउथ अफ्रीका ने 2-0 से सूपड़ा साफ कर दिया। फैंस हैरान हैं कि राहुल द्रविड़ के जाने और गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) के कोच बनने के बाद अचानक टीम को क्या हो गया है?
आखिर क्यों भारतीय टीम का 'किला' ढह रहा है? गंभीर की कोचिंग स्टाइल में वो कौन सी तीन बड़ी खामियां हैं, जिन्होंने टीम इंडिया को अर्श से फर्श पर ला खड़ा किया है? आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं।
टीम इंडिया के फैंस के लिए यह पचा पाना मुश्किल हो रहा है कि हम अपने घर में लगातार दो टेस्ट सीरीज हार चुके हैं—और वो भी 'क्लीन स्वीप' के साथ। गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के बाद से भारत ने घर में 7 टेस्ट खेले हैं, जिसमें से 5 में उसे हार मिली है। न्यूजीलैंड ने 3-0 से हराया तो अब साउथ अफ्रीका ने 2-0 से धो दिया।
गुवाहाटी टेस्ट में मिली 408 रनों की करारी हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब भारत को अगला टेस्ट मैच अगस्त 2026 में खेलना है। उससे पहले कोच और मैनेजमेंट को इन तीन बड़ी कमियों को दूर करना होगा, वरना हालात और बुरे हो सकते हैं।
1. बैटिंग ऑर्डर है या 'म्यूजिकल चेयर' का खेल?
- नंबर-3 की पहेली: चेतेश्वर पुजारा के जाने के बाद से नंबर-3 की जगह खाली है। कभी गिल खेलते हैं, तो कभी किसी और को भेज दिया जाता है।
- खिलाड़ियों की भीड़: यकीन करना मुश्किल है, लेकिन पिछले 14 महीनों में 24 खिलाड़ियों को आजमाया गया है, फिर भी एक पक्की प्लेइंग-11 तैयार नहीं हो पाई है।
- कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन: इस सीरीज में पहले वाशिंगटन सुंदर को मौका दिया, फिर अगले मैच में साई सुदर्शन आ गए। मिडिल ऑर्डर में अनुभव की भारी कमी है। रहाणे को मौका नहीं मिला और करुण नायर इंग्लैंड में फ्लॉप रहे। टीम को समझ ही नहीं आ रहा कि किस पर भरोसा करें।
2. अनुभव को किनारे कर 'नितीश रेड्डी' पर अंधा भरोसा
दूसरी बड़ी गलती टीम सिलेक्शन में नजर आती है। अक्षर पटेल (Axar Patel) जैसा खिलाड़ी, जो भारत की पिचों पर गेंद और बल्ले दोनों से कमाल कर सकता है और अनुभवी भी है, उसे बाहर बैठा दिया गया। उनकी जगह नितीश रेड्डी को लगातार मौके दिए जा रहे हैं।
आंकड़े देखें तो हैरानी होती है। एमसीजी में एक शतक के अलावा, पिछली 10 पारियों में नितीश रेड्डी का औसत सिर्फ 10 रन का है। गुवाहाटी टेस्ट में उन्होंने सिर्फ 10 ओवर फेंके और कोई विकेट नहीं लिया। जब एक खिलाड़ी परफॉर्म नहीं कर रहा, तो उसे बार-बार मौका देकर अनुभवी खिलाड़ियों को नजरअंदाज करना समझ से परे है। मैनेजमेंट का यह फैसला बैकफायर कर गया है।
3. पिच को पढ़ने में 'फेल' हुए कोच गंभीर
टेस्ट क्रिकेट में मैच शुरू होने से पहले ही आधी बाजी 'पिच' को समझकर जीती जाती है। राहुल द्रविड़ के समय में टीम इंडिया पिच के हिसाब से बहुत सटीक रणनीति बनाती थी। लेकिन गंभीर के कार्यकाल में यही सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है।
गुवाहाटी टेस्ट में ऐसा लग रहा था कि साउथ अफ्रीका के बल्लेबाज किसी आसान पिच पर खेल रहे हैं और हमारे बल्लेबाज किसी खदान में। भारतीय बल्लेबाज अब अपनी ही घरेलू पिचों पर स्पिन नहीं खेल पा रहे, जबकि विदेशी खिलाड़ी यहां आकर शतक जड़ रहे हैं। एक दशक पहले तक विदेशी टीमें यहां स्पिन के सामने घुटने टेक देती थीं, लेकिन अब उल्टा हो रहा है। गंभीर की 'पिच रीडिंग' में बड़ी चूक हो रही है, और इसी वजह से हम अपने घर में ही हार रहे हैं।
अब 6-7 महीने का ब्रेक है। अगर इन गलतियों को नहीं सुधारा गया, तो श्रीलंका दौरा और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का सपना, दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।
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