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Up Kiran, Digital Desk: 15 अगस्त, भारत के स्वतंत्रता दिवस का दिन, हर भारतीय के लिए गर्व और उत्साह का अवसर होता है। लेकिन बच्चों के लिए, यह दिन सिर्फ एक छुट्टी नहीं, बल्कि अनगिनत यादगार पलों का खजाना होता है। जब हम अपने बचपन के स्वतंत्रता दिवस के जश्न को याद करते हैं, तो मन में देशभक्ति की भावना के साथ-साथ एक खास तरह की खुशी और मिठास भी घुल जाती है। आइए, आज़ादी के इस पावन पर्व पर, उन 8 बचपन की यादगार पलों को फिर से ताज़ा करें जो हमें उस सुनहरे दौर में ले जाते हैं:

 सुबह-सुबह उठने की जल्दी और सफ़ेद कपड़ों का क्रेज़
स्वतंत्रता दिवस की सुबह सबसे पहले उठने की होड़ लगी रहती थी। नए या इस्त्री किए हुए सफ़ेद कपड़े पहनना, उस दिन की सबसे बड़ी शान होती थी। यह सिर्फ एक रंग नहीं, बल्कि आज़ादी का प्रतीक बन जाता था।

स्कूल का वो खास दिन: झंडा फहराना और राष्ट्रगान
स्कूल का प्रांगण उस दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता था। झंडा फहराने की रस्म, सभी छात्रों द्वारा मिलकर गाया जाने वाला राष्ट्रगान "जन गण मन", और फिर हेडमास्टर का जोशीला भाषण - ये सब मिलकर एक अलग ही माहौल बना देते थे।

देशभक्ति के गानों पर थिरकते कदम
"ऐ मेरे वतन के लोगों," "सारे जहाँ से अच्छा," "कर चले हम फ़िदा" जैसे गानों पर स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी और प्रदर्शन, बचपन की सबसे प्यारी यादों में से एक हैं। इन गानों में छिपी देशभक्ति की भावना आज भी रोंगटे खड़े कर देती है।

गालों पर तिरंगे का रंग और कागज के झंडे
हाथों में छोटे-छोटे कागज के तिरंगे झंडे और गालों पर तिरंगे के रंग से बनी पेंटिंग, यह उस दिन की पहचान बन जाती थी। हर बच्चा अपनी देशभक्ति को इसी तरह जाहिर करता था।

 स्कूल के बाद मिलने वाली मिठाइयाँ
झंडा फहराने और सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद, स्कूलों में अक्सर सभी बच्चों को लड्डू या अन्य मिठाइयाँ बाँटी जाती थीं। वो लड्डू, जो सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि आज़ादी के जश्न का मीठा स्वाद थे।

घर पर टीवी पर परेड देखना
स्कूल के बाद की शामें अक्सर दिल्ली के राजपथ पर होने वाली भव्य परेड को टीवी पर देखने में बीतती थीं। रंग-बिरंगी झांकियाँ, सैन्य शक्ति का प्रदर्शन और विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झलकियाँ, सब कुछ बेहद रोमांचक लगता था।

 आज़ाद भारत की कहानियाँ सुनना
बड़ों से स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियाँ सुनना, उन्होंने कैसे देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष किया, यह सब सुनकर मन में एक अजीब सी भावना जागृत होती थी। भगत सिंह, गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के किस्से रोंगटे खड़े कर देते थे।

 पड़ोसियों और दोस्तों के साथ मिलकर मनाना
सिर्फ स्कूल ही नहीं, बल्कि अपने मोहल्ले, सोसाइटी या पड़ोसियों के साथ मिलकर भी स्वतंत्रता दिवस मनाना एक अलग ही अनुभव था। सब मिलकर झंडा फहराते, गीत गाते और मिठाइयाँ बाँटते थे, जिससे एकता और भाईचारे का अहसास होता था।

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