
Up Kiran, Digital Desk: केरल विधानसभा में मंगलवार को उस वक्त जोरदार हंगामा खड़ा हो गया, जब अध्यक्ष (स्पीकर) ए.एन. शमसीर ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन UDF को वायनाड सांसद राहुल गांधी की जान को कथित खतरे के मुद्दे पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी। स्पीकर के इस फैसले से नाराज होकर, पूरे विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस विधायक पी.सी. विष्णुनाथ ने इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत चर्चा के लिए एक स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) का नोटिस दिया। विपक्ष का आरोप था कि सत्तारूढ़ CPI(M) के मुखपत्र 'देशभीमानी' में प्रकाशित एक लेख में राहुल गांधी के खिलाफ धमकी भरे और अपमानजनक बयान दिए गए हैं।
स्पीकर ने क्यों किया चर्चा से इनकार?
हालांकि, स्पीकर ए.एन. शमसीर ने यह कहते हुए नोटिस को अस्वीकार कर दिया कि यह मामला राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। उन्होंने अपनी रूलिंग में कहा:
यह विषय मुख्य रूप से केंद्र सरकार के अधीन है।
विपक्ष के नेता (LoP) पहले ही इस मामले को केंद्र सरकार और राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) के संज्ञान में ला चुके हैं।
अखबारों में छपी खबरों पर आमतौर पर स्थगन प्रस्ताव की अनुमति नहीं दी जाती है।
भड़का विपक्ष, स्पीकर पर लगाए गंभीर आरोप
स्पीकर के इस फैसले के बाद सदन में विपक्ष का गुस्सा फूट पड़ा। विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने स्पीकर पर हमला बोलते हुए कहा कि वह संसदीय परंपराओं का गला घोंट रहे हैं और सरकार को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
सतीशन ने गुस्से में कहा, "आप (स्पीकर) सरकार के भोंपू की तरह काम कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी विपक्ष के अधिकारों की रक्षा करना है, न कि सत्ता पक्ष की। आपने बिना कोई कारण बताए हमारे नोटिस को खारिज कर दिया, जो कि पूरी तरह से गलत है।"
विपक्ष ने आरोप लगाया कि स्पीकर सत्ताधारी पार्टी के दबाव में काम कर रहे हैं और विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। जब स्पीकर अपने फैसले पर अड़े रहे, तो विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी और विरोध जताते हुए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया और बाहर चले गए। इस घटना ने एक बार फिर केरल की सत्ता और विपक्ष की राजनीति में चल रहे गहरे तनाव को उजागर कर दिया है।