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(पवन सिंह)

आस्था सालों से और साल दर साल हजारों इंसानी मौतों का कारण बनती रही है..! ऐसा कोई भी वर्ष नहीं है जब आस्था का पागलपन इंसानी जाने न लेता हो..! इसके बावजूद लोग अपनी मेहनत की कमाई और अपने व अपने परिवार के सदस्यों की जान आस्था के नाम पर दांव पर लगाते आ रहे हैं।  वैसै भी "आस्था" और "स्प्रीचुवल टूरिज्म" दोनों एक कांकटेल बन कर रह गई हैं। हर साल संपन्न वर्ग कार और हवाई जहाज पकड़ कर और मध्य वर्ग एसी कोच तो गरीब जनता जनरल डिब्बे...खचाडा रोड़वेज की बसों और सिर पर कथरी, चादर का बोझ लादे मीलों तक आस्था के नाम पर खचड-पचड चल पड़ता है। अपनी मेहनत से कमाया हुआ पैसा, अपना सबसे मूल्यवान समय, अपनी ऊर्जा....सब कुछ आस्था के‌ नाम पर आदमी फूंकता आ रहा है। 

दरअसल, आस्था शब्द‌ एक गहरे नशे की तरह नश्तर में चुभोया जा चुका है जो व्यक्ति की तार्किकता और उसके विवेक को पूरी तरह से एनस्थीसिया की स्थिति में पहुंचा चुका है। हर साल  विसर्जन और धार्मिक यात्राओं व जुलूसों में सैकड़ों लोग केवल आस्था के नाम पर मारे जाते हैं लेकिन इन मौतों के बावजूद आस्थावानों की दूसरी भीड़ आकर खतरों के खिलाड़ी की भूमिका में उनकी जगह लेने आ जाती है। 
हवाई किस्सों, हवाई ताकतों, हवाई किरदारों के जो किस्से  बचपन में लोगों के दिलो-दिमाग में दवा की तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी घोल-घोल कर पिलाये जाते हैं, वो वक्त के साथ और मजबूत होते जाते हैं।   इसके बाद इन पर आपकी तार्किक बातों का कोई असर नहीं होता..! ऐसे लोगों की एक पूरी भीड़ होती है और भीड़ का कोई अपना विवेक नहीं होता है। अगर आप कहें कि आप के जीवन को विज्ञान ने बदला है..बेहतर किया है..आपकी औसत आयु विज्ञान की वजह से बढ़ी है तो आस्था तुरंत उठ कर खड़ी हो जाएगी कि विज्ञान ने तो कोविड भी दिया है। हिरोशिमा भी दिया है..? जब आप फिर तर्क करेंगे कि विज्ञान ने आपको शक्तिशाली बनाया है लेकिन जब उसका मिसयूज होगा तो कोविड भी होगा और हिरोशिमा भी। 
फिलहाल कुछ हादसों का जिक्र किये देता हूं ...जनवरी, 2025 में ही भगवान आदिनाथ के निर्वाण महोत्सव में हादसा, मंच गिरने से 7 की मौत, 70 से अधिक घायल। अमरनाथ यात्रा, वर्ष 1969 में बादल फटने पर एक दर्जन से अधिक लोग मारे गये थे...जुलाई 2017 को आतंकी हमला, 10 मरे। इसी तरह वर्ष 2022 में वैष्णो देवी के दर्शन को पहुंची श्रद्धालुओं की भीड़ में भगदड़ मचने से 12 मौतें,  22 दिसंबर 2021 को माता वैष्णो देवी भवन मार्ग पर अर्धकुंवारी स्थित बाजार की दुकान में सिलेंडर ब्लास्ट 5  झुलसे, साल 2017 में 30 जनवरी को भूस्खलन एक महिला की मौत 3 बच्चों सहित 8 घायल।  साल 2015 में नवंबर में हेलीकॉप्टर हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई थी।  इस तरह के हादसे पहले भी हो चुके हैं। जुलाई 1988, 30 दिसंबर 2012 को़ और 30 जनवरी 2001 को और जुलाई 1988 में जब सांझी छत हेलीपैड पर हादसा हुआ तो पवन हंस के हेलीकॉप्टर में सवार 6 श्रद्धालुओं और पायलट की मौत हो गई। इसी प्रकार के एक अन्य हादसे में 30 जनवरी 2001 को इसी हेलीपैड पर हुए हादसे में सेना के एक ब्रिगेडियर, कैप्टन, मेजर और दो पैरा कमांडो की मौत उस समय हो गई जब सेना का चेतक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। 30 दिसंबर 2012 को हुए हादस में पवन हंस सेवा के पायलट की सूझबूझ से अधिक नुकसान नहीं हुआ था और उसने पहाड़ियों से बचाते हुए हेलीकॉप्टर को खेतों में उतार लिया था, फिर भी 2 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे।

इसी तरह करीब 71-72 साल पहले महाकुंभ में मची भगदड़, लगभग 800 लोग मारे गये थे। 
इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक स्लैब ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई थी..हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ की वजह से 121 लोगों की मौत हो गई थी..

विंध्याचल मंदिर से दर्शन कर लौट रहे थे 5 लोग, खड़ी डंपर में पीछे से भिड़ी कार, 4 की मौत...गुजरात के पाटन ज़िले में गणेश विसर्जन के दौरान सरस्वती नदी में एक ही परिवार के चार लोग डूब गए थे...
गुजरात के गांधीनगर ज़िले के सोगाथी गांव में गणेश विसर्जन के दौरान नदी में डूबने से नौ लोग डूबे थे...राजस्थान के पाली ज़िले के सोजत सिटी थाना क्षेत्र के खोखरा सरहद में गणेश विसर्जन के दौरान तालाब में डूबने से तीन युवकों की मौत हो गई थी...मुंबई के वर्सोवा चौपाटी पर गणेश विसर्जन के दौरान नाव पलटने से कई लोग समंदर में गिर गए थे... महाराष्ट्र के भंडारा में गणेश विसर्जन के दौरान शोभा यात्रा के दौरान छत गिरने से करीब 30 से 40 महिलाएं घायल हो गई थीं...बरेली की रामगंगा में गणेश विसर्जन के दौरान पांच लोग डूब गए थे.. 

मध्य प्रदेश के सागर ज़िले के डूमर गांव में गणेश विसर्जन के दौरान दो युवकों की मौत हो गई थी...ऐसा नहीं है कि हर साल आस्था भारत में ही हजारों जानें ले रही है मक्का में भी अनेक दुर्घटनाएं हो चुकी हैं...साल 1821 में हज के दौरान हैज़ा महामारी के कारण करीब 20,000 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी..वर्ष  1990 में मक्का की अल-मआजिम सुरंग में भगदड़ मचने से 1,426 हज यात्रियों की मौत हो गई थी...साल 2015 में मक्का की अल-हरम मस्जिद में कंस्ट्रक्शन के दौरान एक क्रॉलर क्रेन गिरने से 109 लोगों की मौत हो गई थी...हज के दौरान गर्मी के कारण वर्ष 2024 में करीब 800 लोगों की मौत हो गई थी।
हज के दौरान अनेक बार भगदड़ मचने से भी कई लोगों की मौत हो चुकी है...ये कुछ बानगी है जो मैंने पेश की है। 
लेकिन आस्था हारी नहीं है। धार्मिक लोग इतने शातिर होते हैं कि मौतें तक जस्टीफाई कर देते हैं। जैसे 2025 में भयावह कुंभ दुर्घटना में बाबाओं ने मारे गये लोगों को मोक्ष प्राप्त बता दिया वैसे ही मक्का में मारे गये हजारों लोगों की मौतों को भी सीधे जन्नत रूखसत कर दिया गया..!!! हर धर्म व मजहब में आस्थावानों के तर्क इतने जबरदस्त होते हैं कि आप के तथ्यात्मक तर्क भी पानी भरने लग जाते हैं। आस्था हवाएं तक बेंच दिया करती है जो आपके सामने है...ये शायद कभी न रूकने वाला बिजनेस है..."आस्था का बिजनेस"...बिना किसी टैक्स का.. शानदार धंधा है आस्था इंटरप्राइजेज..!!!