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Up Kiran, Digital Desk: नवंबर का महीना जैसे ही शुरू होता है, दिल्ली वाले जान जाते हैं कि अब अगले कई हफ्ते गला रेतने वाली हवा में गुजारने हैं। इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है। शनिवार सुबह जब लोग बिस्तर से उठे तो बाहर धुंध का ऐसा कंबल था कि सूरज भी नजर नहीं आ रहा था। हवा की गुणवत्ता सूचकांक ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। ज्यादातर इलाकों में एक्यूआई 300 से 430 के बीच पहुंच गया। नोएडा और गाजियाबाद की हालत तो और बुरी है, वहां तो कई जगहों पर यह आंकड़ा 450 के पार चला गया।

सरकार ने खींची इमरजेंसी ब्रेक

इतनी खराब हवा देखते ही वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी सीएक्यूएम ने तुरंत मीटिंग की और पुराने प्लान में बदलाव कर दिया। अभी तक दिल्ली जीआरएपी के स्टेज-4 में थी लेकिन अब स्टेज-3 के सख्त नियम वापस लागू कर दिए गए हैं। सबसे बड़ा फैसला यह आया कि सरकारी और निजी दफ्तरों में सिर्फ आधे कर्मचारी ही ऑफिस आएंगे। बाकी सब घर से काम करेंगे। केंद्र सरकार के दफ्तरों को भी यही सलाह दी गई है कि वे अपने यहां वर्क फ्रॉम होम शुरू कर दें।

दिल्ली सरकार ने फौरन इस आदेश को मान लिया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि यह जीआरएपी-3 का दूसरा चरण है जिसमें पचास फीसदी स्टाफ को घर बैठाकर काम करने को कहा गया है। साथ ही बॉर्डर पर बाहर के वाहनों की सख्त चेकिंग फिर शुरू हो गई है। जहां जहां धूल उड़ रही है वहां पानी के टैंकर दिन रात छिड़काव कर रहे हैं।

कूड़े की आग पर लगाम, गरीबों को हीटर

प्रदूषण का एक बड़ा कारण गरीब बस्तियों में सर्दी से बचने के लिए जलाया जाने वाला कूड़ा और लकड़ी है। इस बार सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटीज को दस हजार इलेक्ट्रिक हीटर बांटने का ऐलान किया गया है ताकि सुरक्षा गार्ड और रेहड़ी-पटरी वाले लोग बायोमास न जलाएं। पश्चिम दिल्ली में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने खुद इस मुहिम की शुरुआत की। उनका कहना था कि अगर हर घर और हर सोसाइटी थोड़ा सहयोग करे तो दिल्ली की हवा को बचाया जा सकता है।