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Up Kiran, Digital Desk: ज्येष्ठ पूर्णिमा अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिव्य दिन चंद्र देव स्वयं अपनी 16 कलाओं की पूर्णता में निखर उठते हैं जैसे अमृत की छटा से पूर्ण चाँदनी आसमान को रोशन करती हो। उनकी कोमल मधुर और शीतल किरणें धरती पर उतरकर हर जीवित प्राणी के हृदय में समृद्धि सौभाग्य और शांति का अमृत वर्षा करती हैं। इस पावन अवसर पर स्नान करना और दान-धर्म करना अतिशय पुण्यकारी माना जाता है मानो आध्यात्मिक शुद्धि की नदियाँ बह निकली हों। यही नहीं यह तिथि भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ समय भी होती है जब उनकी दयालु दृष्टि हर भक्त पर अनंत कृपा बरसाती है। ज्योतिष शास्त्र में भी यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है; कुछ सरल और प्रभावशाली उपायों से इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है जो व्यक्ति के जीवन में सुख-सौभाग्य समृद्धि और सफलता के द्वार खोलते हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है

वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि की आरंभिक घड़ी 10 जून को प्रातः 11 बजकर 35 मिनट पर होगी जब आकाश में चंद्रमा अपनी पूर्णशक्ति से चमक उठेगा। इस तिथि का समापन अगले दिन 11 जून को अपराह्न 1 बजकर 13 मिनट पर होगा। इस प्रकार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि का व्रत 11 जून को ग्रहण करना सबसे उचित और फलदायक माना जाता है। इस दिन का हर क्षण हर सांस आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत होती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के उपाय

पैसों की तंगी और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए इस पावन दिन एक लोटे में शुद्ध जल के साथ ताजे दूध की मिलावट करें उसमें पतासा की एक-एक चमच डालकर यह जल पीपल के वृक्ष के चरणों में समर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि पीपल का वृक्ष स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पावन आवास है जहां उनकी दिव्य ऊर्जा स्थिर रहती है। इस अनुष्ठान से न केवल आर्थिक तंगी दूर होती है बल्कि करियर और व्यापार में भी अप्रत्याशित उन्नति के द्वार खुलते हैं। जीवन में खुशहाली और समृद्धि की नयी सुबह जाग उठती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन जल में दूध शहद और चंदन का संगम कर बना एक दिव्य अर्घ्य चंद्रमा को अर्पित किया जाता है। जैसे आकाश की चाँदनी की छटा उसमें झलकती हो वैसे ही यह अर्घ्य मनोकामनाओं को पूर्ण करने की शक्ति रखता है। इस पूजन से व्यक्ति के जीवन में शीतलता मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास की लहरें उठती हैं।

यदि कुंडली में चंद्र दोष की समस्या बनी हो तो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गंगाजल में हल्का दूध मिलाकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करना अत्यंत फलदायक होता है। ऐसा करने से न केवल चंद्र दोष का प्रभाव समाप्त होता है बल्कि घर में धन-वैभव सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण भी स्वाभाविक रूप से बन जाता है। घर के प्रत्येक कोने में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है और जीवन की हर कठिनाई जैसे सहजता से पिघल जाती है।

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