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Up Kiran, Digital Desk: आज यानी 11 अक्टूबर को हम राष्ट्रीय शतरंज दिवस (National Chess Day) मना रहे हैं। इस मौके पर हम अक्सर बड़े-बड़े ग्रांडमास्टर की जीत की बात करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि हमारे घर के छोटे बच्चों, या फिर छात्रों के लिए शतरंज (Chess) क्या मायने रखता है? क्या महज़ एक बोर्ड गेम आपके बच्चे को 'सोच-समझकर' फैसले लेने वाला एक 'रणनीतिकार' (Strategist) बना सकता है? बिल्कुल!

सच तो यह है कि यह 'खेल' नहीं, बल्कि दिमाग का विकास (Mind Development) करने वाली एक प्रयोगशाला है, जो आने वाले समय के हर बच्चे के लिए सबसे ज़रूरी 'क्लास' साबित हो सकती है। आइए, जानते हैं शतरंज किस तरह छात्रों (Students) के लिए इतना बड़ा गेम चेंजर बन सकता है।

रणनीति (स्ट्रेटेजी) का खेल, ज़िंदगी के सबक

जब हम शतरंज खेलते हैं, तो हमें 1-2 चालें नहीं, बल्कि पूरे 10-15 कदम आगे की चालें सोचनी पड़ती हैं। शतरंज के फायदे यहीं से शुरू होते हैं, क्योंकि यह खेल स्ट्रेटेजी थिंकिंग (Strategy Thinking) को एकदम बुनियादी स्तर पर मजबूत कर देता है:

हर गलती से सीखना:शतरंज बच्चों को सिखाता है कि अगर आप गलत फैसला लेंगे, तो तुरंत हारेंगे। इसका मतलब है—कोई भी फैसला जल्दबाज़ी में नहीं लेना, और अपनी गलतियों से तेज़ी से सीखना।

कंसंट्रेशन की शक्ति: एक बार खेलने के लिए बैठ गए, तो पूरे फोकस (Focus) की जरूरत होती है। इस दिमागी खेल (Brain Game) से बच्चों में एकाग्रता और कंसंट्रेशन की आदत पड़ जाती है, जिसका फायदा उन्हें अपनी पढ़ाई (Studies) और परीक्षाओं में सीधा मिलता है।

दबाव में सही निर्णय: यह बच्चों को सिखाता है कि भले ही गेम (या ज़िंदगी) में दबाव कितना भी हो, आपको शांत रहकर रचनात्मक (Creative) समाधान (Solutions) ढूंढना है। यही खूबी एक बड़े अधिकारी या सफल उद्यमी में चाहिए होती है।

बच्चों में क्रिएटिविटी और प्रॉब्लम सॉल्विंग का हुनर

आज के दौर में सिर्फ जानकारी इकट्ठा कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। हमें 'प्रॉब्लम सॉल्वर' (Problem Solver) बनने की जरूरत है।

शतरंज में हर एक पोजीशन अद्वितीय (Unique) होती है, इसलिए हर बार बच्चा किसी मुश्किल से निकलने का एक नया तरीका (New Solution) ढूंढता है। यही चीज उनकी क्रिएटिविटी (Creativity) को बढ़ाती है।

यह बच्चों को जटिल परिस्थितियों से बाहर निकलने की आदत डालती है।

इसलिए, इस राष्ट्रीय शतरंज दिवस पर सिर्फ ग्रैंडमास्टर्स को ही याद न करें, बल्कि अपने घर के बच्चों को भी शतरंज के खेल की 'छोटी-सी किताब' सौंप दें। याद रखिए, कुछ साल बाद उनका दिमाग किस गति से चलेगा, इसकी तैयारी उन्हें अभी से शुरू करनी पड़ेगी।